अमेरिकी दबाव और चीन के लिए झुकाव से मुक्त हो भारत की विदेश नीति : अजय खरे

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निर्णायक मौके पर अमेरिका और चीन ने भारत को नुकसान पहुंचाया

सन 1962 में हिंदी चीनी भाई-भाई के नारों के बीच चीन का भारत पर विश्वासघाती हमला दोस्ती के नाम पर कलंक

रीवा 29 अगस्त। समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे एवं राष्ट्र सेवा दल नेता लोकतंत्र सेनानी बृहस्पति सिंह ने कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति को अमेरिकी दबाव और चीन के लिए झुकाव से मुक्त रखकर एक बार फिर गुटनिरपेक्ष आंदोलन को मजबूत बनाने की जरूरत है। चीन ने 20 अक्टूबर 1962 को भारत पर विश्वासघाती आक्रमण करके हजारों वर्ग किलोमीटर भूभाग पर मनमानी कब्जा कर रखा है। इसे मुक्त कराने के लिए 14 नवंबर 1962 को भारत की संसद में सर्व समर्थन प्रस्ताव पारित कर संकल्प लिया गया था। ऐसा लगता है कि सरकारों की कमजोर इच्छा शक्ति के चलते उस संकल्प की लगातार अनदेखी की गई । कुछ साल पहले चीनी घुसपैठ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी थी कि ना कोई घुसा है, न घुसेगा जबकि सच्चाई यह है कि साम्राज्यवादी चीन ने भारत का करीब 40000 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूभाग पर अनाधिकार कब्जा जमा रखा है। वहीं उत्तरी सीमाओं पर उसकी घुसपैठ बरकरार है। दूसरी ओर बिहार के चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बांग्लादेशी घुसपैठ का राग अलाप रहे हैं। देश की सीमाओं पर मोदी सरकार की निगरानी और नियंत्रण है यदि ऐसी स्थिति में घुसपैठिया आ रहे हैं तो किसकी जवाबदेही बनती है? सीमावर्ती राज्यों की कोई भी सरकार नहीं चाहेगी कि उसके प्रांत में दूसरे देश से घुसपैठियों का प्रवेश हो। मोदी सरकार के द्वारा अपनी असमर्थता को राज्य सरकारों पर थोपना उचित नहीं है। आखिरकार घुसपैठियों को रोकने से कौन मना कर रहा है।

इन नेताओं ने कहा कि निर्णायक मौके पर अमेरिका और चीन ने भारत को नुकसान पहुंचाया है। सन 1962 में हिंदी चीनी भाई-भाई के नारों के बीच चीन का भारत पर विश्वासघाती हमला दोस्ती के नाम पर कलंक था। इतिहास में भारत का पड़ोसी देश तिब्बत रहा, चीन नहीं। चीन से कूटनीतिक संबंध रखे जा सकते हैं लेकिन उससे दोस्ती करना ऐतिहासिक गलती को दोहराना होगा। बयान में आगे कहा गया कि अमेरिका ने सन 1965 और 19 71 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारत के खिलाफ मोर्चेबंदी की थी। लेकिन तत्कालीन सरकारों ने अमेरिकी दबाव को न मानते हुए उस चुनौती को स्वीकार कर पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था। देखने को मिल रहा है कि पूरी दुनिया में विभिन्न देशों के बीच तनाव का दौर चल रहा है जो विश्व शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा है ऐसी स्थिति में भारत को अपनी ऐतिहासिक भूमिका अदा करनी होगी।


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