— राकेश अचल —
ज्ञानेश कुमार भारत के भले ही 26 वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं लेकिन वे सबसे ज्यादा जिल्लत झेलने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं, जिके ऊपर सरकारी पार्टी के लिए वोट चोरी के गंभीर आरोप लगे हैं. लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरी के प्रत्यक्ष आरोप लगाए हैं.
मैं भारत के 26 में से 16 मुख्य चुनाव आयुक्तों से एक न एक बार जरूर मिला हूं. उन्हे काम करते देखा है. लेकिन ज्ञानेश बाबू पहले हैं जिनसे मै अभी तक नहीं मिला. वे मात्र 7 महीने में ही ज्ञानेश से अज्ञानेश साबित कर दिए गये. उनके कार्यकाल का पहला बडा चुनाव बिहार में होना है लेकिन उसी बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष पुनरीक्षण अभियान चलाकर वे फंस गये.
विपक्ष ने विशेष पुनरीक्षण अभियान के जरिए बिहार के 65 लाख मतदाताओं के नाम काटने का आरोप लगाया. मामला सडक से लेकर संसद में ही नहीं देश की सबसे बडी अदालत तक पहुंच गया. वे जिस पार्टी और सरकार की मदद के लिए अपने ज्ञान और कौशल का इस्तेमाल कर रहे थे, वो ही पार्टी यानि भाजपा उन्हे बचाने में हांफ रही है. राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेव पुरा और अलंद तथा महाराष्ट्र की रजौरा विधानसभा सीट पर वोट चोरी के जो प्रमाण सार्वजनिक किए हैं वे लज्जित करने वाले हैं
मुख्य चुनाव आयुक्त ने न तो राहुल गाधी के आरोपों की जांच का साहस दिखाया, और न उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई का साहस दिखाया. मै उनकी जगह होता तो राहुल गांधी के आरोपों की जांच भी कराता और यदि आरोप सही न निकलते तो उनके खिलाफ व्यक्तिगत मानहानि के अलावा दूसरी विधिक कार्रवाई भी करता. यदि कुछ न कर पाता तो अपने पद से इस्तीफा दे देता.
आपको बता दूं कि भारत में पहला आम चुनाव कराने वाले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे. वे 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक पद पर रहे. उनके बाद के.वी.के. सुंदरम,,वर्मा,डॉ. नागेन्द्र सिंह,टी. स्वामीनाथन,एस. एल. शाकधर,आर. के. त्रिवेदी,आर. वी. एस. पेरि शास्त्री,वी. एस. रामादेवी और ,टी. एन. शेषन इसी पद पर रहे. टीएन शेषन ने तो 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक जो काम किया वो नजीर है.
टीएन शेषन के बाद एम. एस. गिल,जे. एम. लिंगदोह,टी. एस. कृष्णमूर्ति,बी. बी. टंडन,नवीन चावला एस. वाई. कुरैशी और वी. एस. सम्पत ने भी शेषन के काम को आगे बढाया
केंद्र में दूसरी बार भाजपा की सरकार कांग्रेस के शासन में मुख्य चुनाव आयुक्त बने एच. एस. ब्रह्मा,नसीम जैदी,ए. के. ज्योति ओ. पी. रावत,सुनील अरोड़ा, और सुशील चंद्र भी मुख्य चुनाव आयुक्त ही बने रहे. लेकिन राजीव कुमार ने मुख्य चुनाव आयुक्त की भूमिका को एक स्वयं सेवक की भूमिका निभाना शुरु कर दी.
राजीव कुमार ने 15 मई 2022 से 14 फरवरी 2024 तक जो काम सरकारी पार्टी के हित में किया उससे भाजपा का हौसला बढा इसीलिए जब 19 फरवरी 25 को नये चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की गई तब शाखामृग ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया.
आपको बता दूं कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग का गठन किया गया है।पहले चुनाव आयोग शुरू में एक सदस्यीय था.1950–1989 तक केवल मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे किंतु 1989 से यह एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त भी होते हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त का काम और शर्तें मुख्य न्यायाधीश की तरह होता है दोनों को नीर-क्षीर विवेक और पारदर्शिता के साथ करना होता है. दुर्भाग्य से मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने टीएन शेषन की विरासत को मिट्टी में मिला दिया.वे भाजपा के लिए 2029का आम चुनाव कराने के बाद ही सेवानिवृत होंगे. तब तक विपक्ष उनकी क्या दशा बनाएगी कहना कठिन है.
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