झारखंड जनाधिकार महासभा केंद्र सरकार की लद्दाख पर दमन एवं सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत प्रायोजित गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हैं एवं मांग करता है कि लेह लद्दाख को तत्कालीन पूर्णरूप से राज्य घोषित करे एवं छट्टी अनुसूचित छेत्र का दर्जा दे।
लेह में हुई अचानक हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को दोषी ठहराकर और उन्हें झूठे आरोपों में गिरफ़्तार करके, केंद्र सरकार अनावश्यक रूप से तनावपूर्ण स्थिति को बढ़ा रही है। जबकि सोनम ने स्पष्ट रूप से हिंसा की निंदा की और किसी भी प्रकार की हिंसा को स्वीकार करने से इनकार करते हुए, 15वें दिन अपना अनशन वापस ले लिया। केंद्र सरकार सोनम को निशाना बनाकर और उनका उत्पीड़न करके क्षेत्र में और अधिक गुस्सा और अलगाव को बढ़ावा दे रही है। पिछले दिनों युवाओं के आंदोलन में 4 युवाओं की दुखद मृत्यु और सैकड़ों की संख्या में घायल हुए लोगों की इस गंभीर स्थिति को देख यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि केंद्र सरकार किस तरह जनता की मांग को नजरअंदाज कर उन्हें देशद्रोही करार कर अपने कॉरपोरेट साथियों का मदद कर रही है.
शांतिपूर्ण जन आंदोलनों की आवाजों को दबाने और उन पर प्रहार करने से अक्सर अनियंत्रित हिंसा होती है और केंद्र सरकार इस समस्या को भड़काने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के दर्जे की जायज मांग को ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया जा रहा है, जो अन्यायपूर्ण है । केंद्र सरकार को पुलिस की गोलियों से हुई मौतों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, जो एक लोकतांत्रिक संघर्ष के प्रति क्रूर सरकारी प्रतिक्रिया का परिणाम है।
हमारा मानना है कि जिस प्रकार झारखंड की पहचान, जमीन और रोजगार के लिए यहाँ के युवा दशकों से लड़ रहे हैं, उसी प्रकार लद्दाख के आदिवासी युवाओं का संघर्ष भी पहचान, पर्यावरण और सम्मान के अधिकार के लिए है। केंद्र सरकार सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर और झूठे आरोप लगाकर अलगाववाद पैदा कर रही है और लोगों को भड़काने का काम कर रही है। यह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की साजिश है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह पूरी घटनाक्रम केंद्र सरकार के गैर-लोकतांत्रिक तरीके से धारा 370 को ख़तम करना और पूरे लदाख-जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का गला घोटने का ही हिस्सा है.
लद्दाख की मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जीवन और जलवायु संरक्षण से जुड़ी हुई है। संवैधानिक छठी अनुसूची लागू होने से वहाँ की स्थानीय आदिवासी आबादी को अपनी जमीन, संसाधनों और नौकरियों पर नियंत्रण मिल सकेगा। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से स्थानीय लोगों की भागीदारी सांसद (MP) सीटों में सुनिश्चित होगी और उन्हें अपना भविष्य स्वयं तय करने का अधिकार मिलेगा। लद्दाख दुनिया के सबसे संवेदनशील हिमालई पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। संवैधानिक सुरक्षा के बिना बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स से वहाँ के ग्लेशियरों को खतरा है, इसलिए लद्दाख को क्लाइमेट सर्वरक्षक की आवश्यकता है जिसके लिए केंद्र सरकार भी जवाबदेही होनी चाहिए ।
यह केवल लद्दाख की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश भर में संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई है। झारखंड जनाधिकार महासभा इस संघर्ष में लद्दाख के लोगों के साथ मज़बूती से खड़ी है और केंद्र सरकार को चेतावनी देती है कि यदि दमन नहीं रुका और जायज मांगें नहीं मानी गईं, तो यह विरोध पूरे देश में फैलेगा। झारखंड जनाधिकार महासभा केंद्र सरकार से तत्काल निम्नलिखित कदम उठाने की मांग करती है:
1. सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई हो और उनके खिलाफ लगाए गए कठोर NSA आरोपों को बिना शर्त वापस लिया जाए।
2. केंद्र सरकार लेह-लद्दाख को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करे। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को भी अविलम्ब पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।
3. लद्दाख में स्थानीय लोगों के अधिकार और पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) लागू की जाए।
4. हिंसा में चार युवाओं की मौत और घायलों की घटना की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों को सज़ा मिले।
5. मृतक युवाओं के परिवारों को न्यायसंगत मुआवज़ा दिया जाए तथा सभी घायलों को सरकारी खर्च पर चिकित्सा सहायता सुनिश्चित की जाए।
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