आम मतदाताओं को भ्रमितकर चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं ओपिनियन पोल : अजय खरे

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Opinion polls influence election results by misleading ordinary voters.

ओपिनियन पोल को प्रतिबंधित करने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट एवं चुनाव आयोग को भेजा गया संबंधित ईमेल ज्ञापन

रीवा 13 अक्टूबर। बिहार में विधानसभा के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर मतदान संपन्न होने तक किसी भी तरह के ओपिनियन पोल को प्रतिबंधित करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति , सर्वोच्च अदालत एवं भारत निर्वाचन आयोग को ईमेल ज्ञापन भेजा है।

श्री खरे ने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद संपन्न होने वाले चुनाव को लेकर जनसाधारण को भ्रमित करने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि और चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले किसी भी ओपिनियन पोल को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। देखने में आ रहा है कि ओपिनियन पोल विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी प्रचार का हिस्सा बन गए हैं। यह बात देश के लोकतंत्र के लिए बेहद आपत्तिजनक चिंताजनक है। ओपिनियन पोल की भूमिका चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाली है। इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। मतदान समाप्ति के बाद मीडिया को चुनाव परिणाम का पूर्व अनुमान लगाने की इजाजत होनी चाहिए, ना कि मतदान से पहले। ओपिनियन पोल में किसी भी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की छूट कदापि नहीं होना चाहिए। बिहार चुनाव में ओपिनियन पोल चुनाव प्रचार का हिस्सा बन चुका है। इसे रोकने के लिए तत्काल वैधानिक हस्तक्षेप करके स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के संकल्प को प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

श्री खरे ने कहा कि कहा कि चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के द्वारा मतदाताओं को आकर्षित करने रिझाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन, सांप्रदायिक और जातीय ध्रुवीकरण का गंदा खेल खेला जाता है। बड़ी-बड़ी खर्चीली चुनावी रैलियां आयोजित करके माहौल बदलने और जीतने के दावे किए जाते हैं। एक तरह से चुनाव मैदान को युद्ध मैदान बना दिया जाता है। गलत से गलत काम को भी सही बताने की कोशिश होती है। ऐसे समय में चुनाव आयोग को सख्ती से पेश आना चाहिए लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। श्री खरे ने कहां कि राजनीति में समर्पित लोगों का संकट बढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र में जीवन मूल्यों की भारी गिरावट देखने को मिल रही है। देश को नई राजनीति की जरूरत है जिसके लिए आजादी के आंदोलन के मूल्यों पर काम करने वाले संविधान पर विश्वास करने वाले कार्यकर्ताओं का निर्माण बहुत जरूरी है।


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