28 जून। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में यूजीसी नियमावली के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के शत-प्रतिशत पद भरने की मांग को लेकर नेट-सेट पीएचडी धारक संघर्ष समिति के सदस्य महाराष्ट्र में 21 जून से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के लिए योग्य उम्मीदवार पिछले 15 महीनों से भर्ती प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार केवल आश्वासन दे रही है और उनके द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
देश भर में उच्च शिक्षा में दाखिले के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है, जहाँ विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 9 लाख के करीब है। हालांकि, एआईएसएचई रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार महाराष्ट्र में महाविद्यालयों की संख्या बढ़ने के बजाय घटी है। महाराष्ट्र में कॉलेजों की संख्या 2011-12 में 4566 से घटकर 2018-19 में 4340 हो गई है, सहायक प्रोफेसरों की संख्या 2011-12 में 1.11 लाख से घटकर 2019-20 में 1.09 लाख हो गई है। विश्वविद्यालयों और इसके घटकों में छात्र शिक्षक अनुपात 2011-12 में 36 से बढ़कर 2019-20 में 61 हो गया है। ऐसे में विश्वविद्यालयों में प्रत्येक छात्र के लिए गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन सुनिश्चित करने के लिए सहायक प्रोफेसरों को तेज गति से नियुक्त करने के बजाय, उनकी भर्ती प्रक्रिया में बार-बार देरी हो रही है।
भारत जनसांख्यिकीय लाभांश की चरम अवधि से गुजर रहा है, जिसकी आधी से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम आयु की है, भारत को वर्तमान में यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन मानव संसाधनों को मानव पूंजी में बदलने के लिए इस आबादी को सर्वोत्तम संभव शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त हो। हालांकि, उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसरों के रिक्त पदों और बिना नौकरी के पीएचडी के योग्य युवा उम्मीदवारों की क्रूर विडंबना के साथ, भारत इस विशाल जनसांख्यिकीय लाभांश से चूक रहा है।
यूथ फ़ॉर स्वराज ने राज्य के साथ-साथ केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के सभी रिक्त पदों को भरने की मांग का समर्थन करते हुए कहा है कि हमारी आधी से अधिक आबादी विद्यार्थी-आयु वर्ग में आती है, एक समाज के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सबके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करें।