(प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इस बार ‘मन की बात’ में ‘भारत जोड़ो’ का संदेश दिया। क्या प्रधानमंत्री के इस संदेश का सांप्रदायिकता की राजनीति से कोई मेल बैठता है? यह सवाल उठाते हुए डॉ. सुरेश खैरनार ने प्रधानमंत्री ने नाम एक खुला पत्र जारी किया है जिसका जितना ही अधिक प्रसार हो उतना ही अच्छा होगा। लिहाजा, वह पूरा पत्र यहां दिया जा रहा है। डॉ. खैरनार पांच दशक से अधिक समय से समता तथा सौहार्द के काम में यानी सही मायने में भारत जोड़ो के काम में लगे रहे हैं। उनकी इस पृष्ठभूमि के कारण उनके इस पत्र का महत्त्व और बढ़ जाता है।)
इस बार प्रधानमंत्री जी ने अपनी मन की बात में भारत जोड़ो की अपील की है! मैं बचपन से ही राष्ट्र सेवा दल का सैनिक हूं। इस पृष्ठभूमि के कारण और मुख्यतः साने गुरुजी की शुरू की हुई आंतर भारती संकल्पना के कारण हमने होश सँभाला तब से हमारी कोशिश रही है कि भारत की सभी भाषाओं का एक दूसरे को परिचय हो। संस्कृति, खानपान, वेश-भूषा, आचार-विचार का परिचय कराने के लिए एक प्रदेश के बच्चों को दूसरे प्रदेश के घर-परिवार में रहने के, तथा एक दूसरे की भाषा और अन्य रीति-रिवाज का परिचय कराने के लिए विशेष कार्यक्रम किये हैं। मुख्यतः आपके अपने गृहराज्य गुजरात के पूर्व मंत्री सनतभाई मेहता की अध्यक्षता में! राजनीति के क्षेत्र में आपका आगमन होने के पहले काफी कार्यक्रम किये हैं।
लेकिन जिस राम मंदिर आंदोलन के नाम पर आपके बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी के रथ पर सवार होकर आपने आज यह मुकाम हासिल किया है वह भारत जोड़ो के लिए सबसे ज्यादा हानि पहुंचानेवाला सिद्ध हुआ है !
और उसी समय हमारे बाबा आमटे अपनी रीढ़ की हड्डियों के और अन्य बीमारियों के मरीज होने के बावजूद स्ट्रेचर पर लेटकर एक बार कन्याकुमारी से कश्मीर और दूसरी बार पूर्वोत्तर से आपके गृहराज्य गुजरात के ओखा तक आंतरभारती के द्वारा भारत जोड़ो का नारा बुलंद करते हुए, लगभग संपूर्ण भारत के सैकड़ों युवाओं को लेकर साइकिल यात्रा किये थे ! जबकि आप लोग भारत को बाँटनेवाली सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए रथयात्रा और शिलापूजन के आयोजनों में मस्त थे !
भारत में एक चौथाई आबादी अल्पसंख्यकों की होने के कारण आपके दल और उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदुत्व की संकल्पना लेकर विगत पैंतीस सालों से भी ज्यादा समय से आप लोगों के चल रहे विभिन्न आयोजन, फिर वह मंदिर के लिए या गाय को लेकर, या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए नागरिक बिल का ही मुद्दा लीजिए, इसमें भारत जोड़ो के लिए कौन-सा फेविकोल है? जिससे भारत जुड़ेगा या टूटेगा?
2002 के अक्तूबर में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद सवा सौ दिनों के भीतर, 27 फरवरी के गोधरा हादसे के बाद, जो कुछ भी आपने मुख्यमंत्री रहते हुए होने दिया उसमें भारत को जोड़ने के लिए कोई गुंजाइश थी? और तभी तो ‘डिवाइडर इन-चीफ’ के रूप में संपूर्ण विश्व में आपकी छवि बनी हुई है और कितने देशों ने अपने देश में आपको आने की मनाही की थी, वह भारत जोड़ो के लिए या तोड़ो के लिए?
हालाँकि आपने मुख्यमंत्री पद के अपने शपथ ग्रहण में राज्य के लोगों को आश्वस्त किया था कि मैं नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज से, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते हुए, गुजरात के सभी लोगों के लिए, बगैर किसी भेदभाव के अपने पद का वहन करूंगा! और शपथ के शब्द गुजरात के वातावरण में गुंजाते हुए 27 फरवरी से एक महीने से भी ज्यादा समय तक जो तांडव आपके अपने ही दल के विभिन्न पदाधिकारियों से लेकर मंत्री तक ने किया, जो खुद गुजरात के दंगे में शामिल थे, यह विभिन्न जाँच रिपोर्टों और मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से संपूर्ण विश्व को मालूम है।
चलिए आप मुख्यमंत्री थे आपसे गलतियाँ हो गयीं ! लेकिन 135 करोड़ जनसंख्या के समस्त भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद? आपने राष्ट्रपति के सामने शपथ लेते हुए फिर उसी शपथ को दोहराने का काम करके संपूर्ण भारत की जनता के जान-माल की रक्षा और सम्मान का आश्वासन दिया था! लेकिन चंद दिनों के भीतर मॉब लिंचिग की घटनाएँ होने लगीं, जो आज से नब्बे साल पहले के जर्मनी में यहूदियों को हिटलर के एसएसके स्वयंसेवकों द्वारा मारने के तरीके का हूबहू अनुकरण था। भारत के इतिहास में पहली बार गोमांस को लेकर, मुसलिम समुदाय के सवा सौ लोगों की जानें ली गयी हैं ! यह आधिकारिक आँकड़ा है। वैसे तो यह आँकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है।
फिर आपके ही दल के विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री लव-जेहाद और धर्म परिवर्तन के नाम पर बिल लाकर कौन-सा भारत जोड़ो का काम कर रहे हैं?
डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने तो भारत में जाति और धर्म की दीवारों को मिटाने के लिए एकमात्र उपाय अंतरधर्मीय, अंतरजातीय शादी को सही उपाय बताया है! और हम राष्ट्र सेवा दल के लोग, इस कार्यक्रम को अपने व्यक्तिगत जीवन में अमल में लाने का काम करके इसके पक्ष में अभियान भी चलाया करते हैं ! लेकिन आप भारत जोड़ो बोल रहे हैं, और आपके स्वयंसेवक ऐसी शादी करनेवाले लोगों के ऊपर हमला करने से लेकर उन्हें बहिष्कृत करने के कार्यक्रम आए दिन कर रहे हैं ! क्या यह भारत जोड़ो के लिए फेविकोल का काम करेगा?
आप बचपन से ही जिस संगठन से तैयार होकर निकले हैं उसके बारे में दुनिया जानती है। मैंने भी 1965-66 में शिंदखेडा (आपने प्रधानमंत्री बनने के लिए पहली प्रचार सभा 2013 में यहीं से शुरू की थी!) की संघ की शाखा में जाना शुरू किया था। और एक महीने से भी कम समय में मेरे मुसलमान मित्रों ने भी आने की इच्छा जाहिर की! मैंने स्थानीय शाखा संचालक से पूछा, तो उन्होंने शिंदखेडा के संघ प्रमुख से पूछा! तो उन्होंने कहा कि दशहरे के दिन खानदेश के संघ प्रमुख श्री नानाजी ढोबळ अपने संघ स्थापना दिवस के दिन आ रहे हैं, उन्हें पूछकर निर्णय लेंगे। दशहरे के दिन खानदेश के संघ प्रमुख श्री नानाजी ढोबळ आये। उन्होंने संघ वृद्धि के लिए बहुत ही अच्छा भाषण दिया, और उनके संबोधन के पश्चात प्रश्नोत्तर का सत्र था।
मैंने सबसे पहले हाथ उठाकर प्रश्न पूछने की प्रार्थना की। शिंदखेडा संघ प्रमुख ने बोलने की इजाजत दी, तब मैंने श्री नानाजी ढोबळ जी को पूछा कि आपने अपने संबोधन में संघ वृद्धि की बात कही है, और मैं कुछ दिन हो रहे, अपने कुछ मित्रों को संघ की शाखा में लाने का प्रयास कर रहा हूँ! लेकिन शिंदखेडा के संघ प्रमुख ने कहा कि, आप दशहरे के दिन संघ स्थापना दिवस पर प्रमुख अतिथि के रूप में आ रहे हैं! तो आपसे पूछकर निर्णय लेंगे! तो शिंदखेडा संघ प्रमुख ने नानाजी ढोबळ के कान में कुछ कहा। मैं सभा में दूर बैठा था इसलिए मुझे कुछ सुनायी नहीं दिया। लेकिन नानाजी ढोबळ ने कहा कि तुम नीचे बैठ जाओ, तो मैंने कहा कि मेरे सवाल का जवाब? तो नानाजी ढोबळ ने कहा कि संघ के अनुशासन में वरिष्ठ जब भी कुछ कहते हैं, स्वयंसेवकों को उसे मानना पड़ता है !
तो भी मैंने हिम्मत जुटाकर दोहराया कि मैं इतने दिनों से आज की प्रतीक्षा में था, और आप मेरे सवाल का जवाब देने की जगह, मुझे बैठ जाने के लिए कह रहे हैं ! तो नानाजी ढोबळ ने कहा कि जो स्वयंसेवक संघ के अनुशासन का उल्लंघन करता है, उसे अभी सिर्फ सभा से निकल जाने की सजा देते हैं! तो मैंने कहा कि मैं तो संगठन के लिए कुछ स्वयंसेवकों को लाने के लिए ही प्रयास कर रहा था! और वरिष्ठ लोगों के व्यवहार से मैं बहुत दुखी होकर उस सभा से बाहर आकर, काफी अपमानित महसूस कर रहा था! तो किसी ने कहा कि शिंदखेडा की पश्चिमी दिशा में एक हरिजन बस्ती के प्रांगण में भी एक शाखा चलती है लेकिन उसके झंडे का रंग भगवा नहीं है तिरंगा है, और उसमें कुदाल, फावड़ा और किसी मशीन के चक्र का समावेश है !
मैं उस शाम हरिजन बस्ती के प्रांगण में जाकर खडा रहा! संचालक प्रभाकर पाटील नाम के पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे जो राष्ट्र सेवा दल के संगठनकर्ता भी थे। उन्होंने कहा कि अरे तुम तो संघ की शाखा में जाते हो ना? मैंने कहा कि जाता था, लेकिन उनके पदाधिकारियों ने मुसलमान मित्रों को लेकर जाने पर मुझे संघ से निकाल दिया ! तो प्रभाकर पाटील ने कहा कि तुम देख रहे हो इस शाखा में सभी जातियों और धर्मों के लोग शामिल होते हैं और लड़कियों को भी इसमें लड़कों के साथ-साथ शामिल किया जाता है, यहाँ जाति, धर्म, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है, तुम अपने मुसलमान मित्रों के साथ शामिल हो सकते हो! राष्ट्र सेवा दल में मेरे शामिल होने के पीछे सबसे प्रमुख कारण है कि भारत के सभी संप्रदायों का सर्व समावेश करने से ही भारत जोड़ो के लिए वातावरण बनेगा! इसके लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, दलित, सवर्ण और भारत के सभी प्रदेशों के लोगों को अपना मानना होगा !
टोकियो ओलंपिक में प्रथम दिन ही भारोत्तोलन में मीराबाई चानू के रजत पदक जीतने पर भारत में खुशियाँ मनाने का क्रम जारी है। बहुत अच्छी बात है। लेकिन इन्हीं नार्थईस्ट के बच्चों को दूसरे प्रदेशों और मुख्यतः राजधानी दिल्ली में ‘चीनी’ बोलकर मॉब लिंचिग करने के प्रसंग किस बात के परिचायक हैं ?
हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री बचपन से ही जिस संगठन से तैयार होकर निकले हैं, 2025 में उस संगठन के सौ साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन 1925 के दशहरे के दिन से हमारे देश की आजादी के लिए लड़ने से लेकर हमारे देश की सबसे घृणास्पद चीज- जाति व्यवस्था- के खिलाफ संघ का क्या काम रहा है?
1936 के अक्तूबर में येवला की सभा में डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने जातिव्यवस्था से तंग आकर घोषणा की कि मैं हिंदू धर्म में पैदा तो हुआ हूँ लेकिन मरने के पहले हिंदू धर्म का त्याग अवश्य करूँगा! और बीस साल बाद इसी नागपुर की दीक्षा भूमि पर दशहरे के दिन 1956 में, संघ की स्थापना के इक्कीस साल पूरे होने के दिन, अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली! और वह सिलसिला जारी है ! और संघ की शाखा में कहा जाता है कि एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कुरान लेकर भारत में इस्लाम का आगमन हुआ है। अगर यही बात थी तो तब भी भारत की हिंदू आबादी अस्सी प्रतिशत थी और आज भी है ! जो भी धर्म परिवर्तन हुआ है वह बाबासाहब ने कहा वैसी घृणास्पद जाति व्यवस्था से तंग आकर हुआ है और यह बात स्वामी विवेकानंद ने खुद दक्षिण भारत के प्रवास में कही है!
जाति व्यवस्था के खिलाफ संघ का एक भी योगदान नहीं है! उलटे, पाँच हजार साल पुरानी मनुस्मृति को महिमामंडित करने के काम में गोलवलकर से लेकर वर्तमान संघ प्रमुख तक लगे रहे हैं।
पिछले साल पाँच अगस्त को अयोध्या के राममंदिर के भूमि पूजन समारोह में ब्राह्मण की श्रेष्ठता का मनुस्मृति का श्लोक कहकर वर्तमान संघ प्रमुख ने संपूर्ण विश्व को क्या संदेश दिया? इन सौ सालों में दलितों और पिछड़ों तथा महिलाओं पर अत्याचार के कितने प्रसंग हुए? अनगिनत। संघ ने किसी भी पीड़ित के लिए क्या किया? फिर भारत जोड़ो यह घोषणा करके कैसे जोड़ो अभियान होगा?
विगत एक साल से किसान अपने खेत और खेती बचाने की लडाई लड़ रहे हैं। और संघ के और बीजेपी के लोग उन्हें खालिस्तानी और पाकिस्तान समर्थक और क्या-क्या गालियाँ दे रहे हैं। फिर इनके भारत जोड़ो कहने का क्या अर्थ है?
किसानों की जनसंख्या भारत की आधी से भी ज्यादा आबादी की है ! इतनी बड़ी संख्या में आंदोलन करनेवाले लोगों के ऊपर इस तरह के आरोप लगाकर कैसे भारत जोड़ो होगा?
आपने दोबारा सत्ता सँभालने के तुरंत बाद ही नागरिकता कानून में जो संशोधन किया, क्या उससे भारत जोड़ो होगा? असम से लेकर संपूर्ण भारत में उसके खिलाफ लोगों ने विरोध किया तो संघ के लोगों को वे देशद्रोही नजर आने लगे!
हमारे देश के लोग अपने किसी सवाल को लेकर विरोध करें, आंदोलन करें, तो उन्हें देशद्रोही करार देने की बात कौन-से भारत जोड़ो में आती है?
विश्वविद्यालय की फीस बीस गुना बढ़ाने का काम किया तो रोहित वेमुला से लेकर कन्हैया कुमार तक, सभी विद्यार्थियों को देशद्रोही करार दिया!
और ‘अभिनव भारत’ की सभी बैठकों में भारत के संविधान को नकारने से लेकर तिरंगा झंडा की जगह भगवा झंडे की वकालत करनेवाले! और उसके लिए इजराइल से एक्साइल (निर्वासित) सरकार की स्थापना के लिए, पत्र लिखकर इजाजत मांगनेवाले (मालेगाँव विस्फोट केस के आरोपपत्र में जो लिखा है! और वह केस अभी भी कोर्ट में चल रहा है !) लोगों को भारत की संसद सदस्य बनवाकर कौन-सा भारत जोड़ो होगा?
विगत सात साल से समस्त इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को, आपने अपने भाट बनने के लिए मजबूर किया है। और कोई एनडीटीवी या ‘भास्कर’ या ‘द हिंदू’ कुछ हिमाकत करने की कोशिश करते हैं तो ईडी, सीबीआई, आईबी, एनआईए द्वारा नकेल कसकर, कौन-सा भारत जोड़ो होगा? विरोधियों के घर, ऑफिस तथा कारोबार पर इसी तरह के छापे डालकर उन्हें अपनी तरफ करने के लिए दबाव डालना और राज्यपालों की मदद से अपने दल की सरकार बनवाना, इनमें से कौन-सा काम भारत जोड़ो का वातावरण बनाएगा?
दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार के खिलाफ काम करनेवाले लोगों को देशद्रोही करार देना, कौन-से भारत जोड़ो में आता है?
और अंतिम बात, भारत की एक चौथाई आबादी, जिसमें अल्पसंख्यकों की संख्या सबसे ज्यादा है, वहां क्या आपको लगता है कि छप्पन इंची छाती का जुमला उछालकर, और गुजरात, मुजफ्फरनगर, दिल्ली जैसे दंगे करवाने के बाद भारत जोड़ो का नारा बुलंद होगा?
इतनी बड़ी संख्या में लोग असुरक्षित होने की मानसिकता में डाल दिये जाएं तो क्या सही मायने में भारत जोड़ो होगा?
माननीय प्रधानमंत्रीजी, अपने जीवन का अर्धशतक से भी ज्यादा समय भारत जोड़ो के प्रयासों में- आंतर भारती से लेकर राष्ट्र सेवा दल के माध्यम से- देनेवाले एक सैनिक के कुछ सवालों का जवाब देने का कष्ट करेंगे, इस उम्मीद के साथ।
आपका
डॉ सुरेश खैरनार
26 जुलाई, 2021, नागपुर