18 सितंबर। देश के तमाम श्रमिक संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 27 सितंबर को आहूत भारत बंद के समर्थन का ऐलान किया है। इनमें केंद्रीय श्रमिक संघों के अलावा वे श्रमिक संगठन भी शामिल हैं जो अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर से ताल्लुक रखते हैं और किसी केंद्रीय श्रमिक संघ से संबद्ध नहीं हैं।
तमाम श्रमिक संगठनों के एकजुट समर्थन ने जहां भारत बंद की जोरदार कामयाबी का भरोसा दिलाया है, वहीं यह इस बात का संकेत है कि किसान आंदोलन के साथ दूसरे तबके भी जुड़ते जा रहे हैं। इसमें कोई हैरत की बात नहीं है। मोदी सरकार की नीतियों और फैसलों से समाज का हर तबका दुखी है। जहां किसान तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं वहीं तमाम कामगार श्रमिक हितैषी कानूनों को समाप्त करके चार लेबर कोड थोपे जाने से आक्रोशित हैं। युवा बेरोजगारी से त्रस्त हैं तो गृहिणियां महंगाई से दुखी हैं।
एचएमएस, सीटू, इंटक, एआईटीयूसी, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी और अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर से ताल्लुक रखने वाले अन्य श्रमिक संगठनों की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जनता के प्रति पूरी तरह बेपरवाह और संवेदनहीन हो गयी है और सिर्फ अपने चहेते पूंजीपतियों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने तथा उनकी इच्छापूर्ति के लिए काम रही है। तीन किसान विरोधी कानून और श्रमिक विरोधी चार लेबर कोड उसके इसी रवैए की देन हैं।
साझा बयान में आगे कहा गया है कि मोदी सरकार जनता की गाढ़ी कमाई से बनायी गयी राष्ट्रीय परिसंपत्तियां, उपक्रम और सेवाएं धड़ाधड़ बेच रही है जिसका नतीजा बहुत बुरा होगा। रेलवे, बैंक, बीमा, बंदरगाह, हवाईअड्डे, बिजली, इस्पात, पेट्रोलियम से लेकर रक्षा सामग्री के उत्पादन और अंतरिक्ष अनुसंधान तक कुछ भी उसके बेचो अभियान से बचा नहीं है। इसे अब नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन नाम देकर जनता को भरमाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन असल मंशा क्या है यह किसी से छिपा नहीं है।
साझा बयान में आगे कहा गया है कि जन विरोधी नीतियों से पैदा हो रहे जन असंतोष से निपटने के लिए सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है। जनता को ऐसी हर साजिश को नाकाम करना होगा। साझा बयान में संयुक्त किसान मोर्चा को इस बात के लिए बधाई दी गयी है कि उसने पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा पैदा किए गए सांप्रदायिक वैमनस्य को मिटाने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। बयान में देशभर के कामगारों का आह्वान किया गया है कि वे किसानों-मजदूरों की एकजुटता को और मजबूत करें तथा 27 सितंबर के भारत बंद को पूरी तरह सफल बनाने में सक्रिय सहयोग दें।
आल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन, दिल्ली ने भी एक बयान जारी कर 27 सितंबर को होनेवाले भारत बंद का समर्थन किया है। बयान में कहा गया है कि यह सरकार पूरी तरह जन विरोधी हो चुकी है और इसे सिर्फ अपने चहेते पूंजीपतियों की चिंता है। किसान आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है फिर भी सरकार सुन नहीं रही है। अर्थव्यवस्था ही नहीं, हमारा लोकतंत्र भी गहरे संकट में है।