8 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तमाम किसान संगठनों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किया। यह पहली बार ऐसा हुआ कि डीजल कीमत पेट्रोल की कीमत के बराबर पहुंच गई और पेट्रोल की कीमत सौ के पार पहुंच गई। रसोई गैस भी महंगी हो गई है।
जब ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो वह ईंधनों तक सीमित नहीं रहती, परिवहन और मार ढुलाई की लागत बढ़ जाने से तमाम चीजों की मूल्यवृद्धि के रूप में नजर आता है। फिर डीजल की मूल्यवृद्धि तो किसान सीधे भुगतते हैं क्योंकि इससे कृषि कार्य की लागत बढ़ती है।
किसानों के देश के तमाम आम जन इस वक्त महंगाई का दंश झेल रहे हैं। इसलिए जैसी कि अपेक्षा थी, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर महंगाई विरोधी दिवस मनाने में किसानों के अलावा दूसरे तबकों के लोग भी शामिल हुए। कई जगह बिजली कटौती का विरोध भी महंगाई विरोध में जुड़ गया।
उत्तर प्रदेश में गन्ना कीमत और गन्ने के बकाये का मसला भी किसानों ने उठाया। मप्र के इंदौर में संयुक्त किसान मोर्चा से सीधे जुड़े संगठनों के अलावा कई श्रमिक संगठन भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। दक्षिण के राज्यों से भी महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन की खबरें आईं।
अलबत्ता जैसा कि किसान मोर्चा की हिदायत दी, कहीं भी सड़क जाम नहीं किया गया। सैकड़ों स्थानों पर हुए विरोध प्रदर्शन की अलग अलग खबर देना संभव नहीं है। लिहाजा फोटो और वीडियो के तौर पर सिर्फ कुछ झलकियां पेश की जा रही हैं।