नाज़िम हिकमत की दो कविताएं

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पेंटिंग : कौशलेश पांडेय
नाज़िम हिकमत (15 जनवरी 1902 – 3 जून 1963)

एक

 

सबसे सुन्दर समुद्र

अभी तक पार नहीं किया गया

सबसे सुन्दर बच्चा

अभी तक बड़ा नहीं हुआ

हमारे सबसे सुन्दर दिन

हमने अभी तक देखे नहीं

जो सबसे सुन्दर शब्द तुमसे कहना चाहता था

अभी तक कहे नहीं।

 

उन्होंने हमें कैद कर लिया है

और बंदी बना दिया है

मुझे जेल की दीवार के भीतर के भीतर

और तुम्हें बाहर।

 

लेकिन ये तो कुछ भी नहीं

सबसे ख़राब होता है

जब लोग- जाने या अनजाने

अपने भीतर जेल ले कर घूमते हैं।

 

ज्यादातर तो ये करने के लिए

मजबूर किये जाते हैं

ईमानदार, मेहनतकश, भले लोग

जो उसी भाँति

प्यार किये जाने के काबिल हैं

जैसे मैं तुम्हें करता हूँ।

पेंटिंग : कौशलेश पांडेय

दो

 

तुम्हें याद करना

कितना खूबसूरत और पुरउम्मीद है

जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत आवाज़ से

सबसे खूबसूरत गीत सुनना

पर अब उम्मीद काफी नहीं है मेरे लिए

मैं अब गाने सुनना नहीं चाहता

मैं गाना चाहता हूँ।

 

अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

तुर्की भाषा के विश्वविख्यात कवि, नाटककार, उपन्यासकार, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक नाज़िम हिकमत को अपने वामपंथी राजनीतिक विश्वासों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा; उनकी जिंदगी के काफी साल जेल या निर्वासन में बीते।


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