11 नवंबर। हमीदिया अस्पताल में प्रशासनिक लापरवाही के चलते लगी आग की घटना में 7नवजातों की अभी तक जान जा चुकी है, और पहले ही मौत से संघर्ष कर रही कई नन्हीं जानों की जिंदगी पर मौत का खतरा और बढ़ गया है। इस दुखद घटना के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया ने संयुक्त रूप से संभाग आयुक्त को ज्ञापन देकर घटना के प्रति आक्रोश जताते हुए पूरी घटना की न्यायिक जांच करने, लापरवाही के जिम्मेदार दोषियों को दंडित करने और मृत बच्चों के परिजनों को ₹10000000 मुआवजा दिए जाने की मांग की। रुद्रपाल यादव, रामस्वरूप मंत्री, प्रमोद नामदेव के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। बीती शाम वामपंथी समाजवादी कार्यकर्ताओं ने मुसाखेड़ी से एमवाय अस्पताल तक कैंडल मार्च निकालकर मृतक बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
ज्ञापन में कहा गया है कि हम शोकाकुल परिजनों के साथ हैं, लेकिन हम इस तथ्य से भी मुँह नहीं मोड़ सकते कि यह कोई प्राकृतिक आपदा या अचानक घटित हुई दुर्घटना नहीं है। अभी तक उजागर हुए तथ्य इस बात को स्पष्ट कर रहे हैं कि इन अबोध शिशुओं की मौत अस्पताल प्रशासन की आपराधिक लापरवाही और सरकार की जनविरोधी नीतियों का ही नतीजा है।
गौरतलब है कि विगत 6 माह में पीडियाट्रिक वार्ड में शॉर्ट सर्किट की यह तीसरी घटना है। यह वो वार्ड है जिसमें जीने के लिए संघर्ष कर रहे बच्चों को रखा जाता है। लेकिन वहाँ पर भी अपार अनियमितताएं थीं। पूर्व में घटित आगजनी की घटनाओं के बावजूद वार्ड और अस्पताल में फायर एंड सेफ्टी की व्यवस्था अत्यंत लचर थी। यही नहीं, पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र भी उपलब्ध नहीं थे, और जो थे, वे भी उचित रखरखाव के अभाव में ठीक से काम नहीं कर पाए, अन्यथा आग इतनी नहीं फैलती। वार्ड में जरूरत की तुलना में चिकित्सा स्टाफ, सुरक्षाकर्मी भी अपर्याप्त संख्या में थे। उन्होंने बाकी बच्चों को मौत के मुँह में जाने से बचाने के लिए आग में कूदकर जान पर खेल जाने वाले स्टाफ नर्स और अस्पताल कर्मियों के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की है। जानकारी के मुताबिक इस प्रयास में कुछ स्टाफ घायल होकर भर्ती भी हैं। ये सभी तथ्य प्रशासन के अत्यंत गैरज़िम्मेदाराना रवैये और बच्चों के जीवन के प्रति सरकारी उदासीनता को उजागर कर रहे हैं।
पहले भी इंदौर और प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। उनसे सबक न लेते हुए घटित हुई इस घटना ने पुनः सरकार की निजीकरण की नीति की स्पष्ट मीमांसा करने का अवसर प्रदान किया है। एक ओर जहां स्वास्थ्य बजट में भारी कटौती कर सरकारी अस्पतालों को आवश्यक न्यूनतम फण्ड से भी महरूम किया जा रहा है, जिससे अस्पतालों में न्यूनतम मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, और असहाय गरीब माँ-बाप मुनाफाखोर निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर किये जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जनता की गाढ़ी कमाई से वर्षों में निर्मित सरकारी अस्पतालों का संचालन भी निजी हाथों में दिया जा रहा है। गौरतलब है कि उक्त अस्पताल की इमारत का विद्युत रखरखाव भी सीपीए नाम की एक निजी कम्पनी के हाथों में था, जिसके घटिया उपकरण और अकुशल कर्मचारियों द्वारा रखरखाव कराया जाना प्रथम दृष्टया इस घटना का कारण प्रतीत होता है। स्वास्थ्य सेवाओं में भी विभिन्न कार्यों को आउटसोर्स किया जा रहा है, जहां अप्रशिक्षित व अकुशल लोगों को कम तनख्वाह पर रखा जाता है, साथ ही ये निजी कंपनियां मुनाफे की प्रवृत्ति के चलते घटिया उपकरणों का इस्तेमाल करती हैं, जो भोपाल ही नहीं, वरन प्रदेश के अन्य तमाम शहरों में होनेवाली ऐसी घटनाओं का कारण बनता है। ज्ञापन में मांग की गई है कि-
1. मृत नवजातों के अभिभावकों को उचित मुआवजा और हादसे में घायल बच्चों के अभिभावकों को मुआवजा राशि दी जाए।
2. घटना के लिए प्रथमदृष्टया दोषी अस्पताल प्रशासन और विद्युत रखरखाव करनेवाली कम्पनी पर गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए, और तत्पश्चात पुनरावृत्ति रोकने के लिए जिम्मेदार तमाम कारकों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए और उसमें भी दोषी पाए जाने वालों को सख्त सजा दी जाए।
3. उक्त अस्पताल एवं प्रदेश के सभी अन्य शासकीय अस्पतालों में आवश्यक सेवाओं की आउटसोर्सिंग के तमाम ठेके रद्द कर सरकार इन्हें पुनः अपने हाथ में ले।
4. प्रदेश के अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में चिकित्सकीय एवं अन्य तकनीकी स्टाफ की स्थायी भर्ती की जाए।
5. प्रदेश सरकार स्वास्थ्य के निजीकरण को अविलम्ब वापस ले एवं स्वास्थ्य बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी करे।
ज्ञापन देनेवालों में प्रमुख रूप से शामिल थे रामस्वरूप मंत्री, रुद्रपाल यादव, प्रमोद नामदेव, एडवोकेट सुश्री पूजा तिवारी, भारत चौहान, सुमीत सोलंकी, अर्जुन राजपूत, विजय चौहान आदि शामिल थे।
– रामस्वरूप मंत्री,
प्रदेश अध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, मध्यप्रदेश