11 दिसंबर। कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, के संकल्प और एलान के साथ दिल्ली की सरहदों पर 380 दिनों से बैठे हजारों किसानों की आखिरकार घर वापसी हो गयी। वे तीनों कृषि कानून सरकार को वापस लेने पड़े, जिनके विरोध में यह आंदोलन शुरू हुआ था। जाहिर है, जो सरकार टस से मस होने को तैयार नहीं थी, और लगातार तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाती रही, उसे आंदोलन के आगे घुटने टेकने पड़े। अलबत्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिद और अहंकार से लड़ने में किसानों को काफी कुर्बानी देनी पड़ी। लाखों किसानों ने घरबार से दूर, तमाम तरह के कष्ट झेलते हुए, हर तरह का नुकसान उठाते हुए कुछ पूंजीपतियों के कदमों में बिछी हुई एक आततायी सरकार से लोहा लिया। लगभग सात सौ किसानों ने आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवायी। एक तरफ जीत का अहसास तो दूसरी तरफ अपने सैकड़ों साथियों को खोने का ग़म लिये किसान धरनास्थलों से लौटे।
इस आंदोलन ने कई तरह से इतिहास रचा। यह अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन था। पहली बार देश के सारे किसान संगठन एक मंच पर, एक बैनर के तहत एकजुट हुए और एकजुट रहे। पहली बार किसी किसान आंदोलन को दूसरे तबकों का इतना व्यापक समर्थन मिला। पहली बार कोई किसान आंदोलन लगातार इतने लंबे समय तक चला। किसान आंदोलन ही क्यों, देश और दुनिया के सबसे बड़े जन आंदोलनों में भी इसकी गिनती की जाएगी। इसने इतिहास पर और जन मानस पर अमिट छाप छोड़ी है।
अंतिम दिन यानी 11 दिसंबर को धरनास्थलों पर सभाएं हुईं, क्रांति गीत गाये गये, नारे लगाए गये, किसानों के संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाने के संकल्प लिये गये। इसका विशेष संदर्भ भी है। किसानों की दूसरी प्रमुख मांग यानी सभी किसानों को सभी मुख्य फसलों पर एमएसपी की गारंटी की मांग पूरी होना बाकी है। सरकार ने इस मुद्दे पर एक कमेटी बनाने का घोषणा जरूर की है लेकिन अभी न तो कमेटी का स्वरूप मालूम है न यह पक्का भरोसा है कि कमेटी सभी किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए ही काम करेगी। यह अंदेशा अभी से है कि कहीं सरकार मनमाफिक कमेटी बनाकर उसका इस्तेमाल एमएसपी को पलीता लगाने के लिए न करे। इसीलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली की सरहदों से मोर्चे तो हटा लिये गये हैं लेकिन संघर्ष जारी रहेगा। जाहिर है, आंदोलन बदले हुए स्वरूप में चलेगा। इस बारे में कुछ स्पष्ट संकेत तभी मिल पाएंगे जब अगले महीने (जनवरी) की 15 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी।
यहां पेश हैं मोर्चा स्थलों की कुछ झलकियां –