कॉमागाटा मारू

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— हरीश खन्ना —

मुझे पैदल चलने में बहुत मजा आता है। किसी भी यात्रा पर जाता हूं तो जब तक पैदल चलकर वहां का आनंद न लूं तो मेरी यात्रा अधूरी रहती है। 2019 में वैंकूवर कनाडा में एक दिन जब मैं पैदल घूमते हुए, वैंकूवर पोर्ट एरिया से स्टेनली पार्क की ओर जा रहा था तो रास्ते में समुद्र के किनारे मेरी नजर एक बोर्ड पर लगी तस्वीर पर गयी। इस तस्वीर पर पंजाबी सिख लोगों को दिखाया गया था। मैं जिज्ञासावश रुक कर उस तस्वीर को देखने लगा और पढ़ने लगा। वहां की सिख समुदाय की एक संस्था ने यादगार के तौर पर उसे वहां लगाया था।

23 मई,1914 को पानी के एक स्टीम शिप से जिसका नाम कॉमागाटा मारू था, 376 यात्री कनाडा पहुंचे। इसमें 337 सिख, 12 हिंदू और 27 मुसलमान समुदाय के लोग ब्रिटिश इंडिया से वाया हांग कांग और जापान होते हुए कनाडा के वैंकूवर शहर पहुंचे। सभी पंजाबी थे। उनके जहाज को वैंकूवर पोर्ट से 200 मीटर दूर कोल हार्बर एरिया में जबरदस्ती रोक दिया गया था। उन्हें शिप से निकलने नहीं दिया गया। वे लोग वैंकूवर में प्रवेश करना चाहते थे। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन कनाडा भी था और इंडिया भी। उस समय के इमिग्रेशन नियमों के मुताबिक वहां की सरकार ने इनको कनाडा में प्रवेश की इजाजत नहीं दी। सिर्फ 20 लोगों को उतरने दिया गया। बाकी लोगों को रोक दिया गया। स्थानीय लोगों का समर्थन और सहानुभूति शिप में फंसे लोगों के साथ थी। उनका खाना-पानी का इंतजाम स्थानीय सिखों और नागरिकों ने किया। वह जहाज कई दिनों तक रुका रहा। 23 जुलाई,1914 को उन्हें वापिस भेज दिया गया। बाद में यह घटना कनाडा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। वहां की सरकार ने इमिग्रेशन नियमों में बदलाव किये और उन्हें पक्षपात-रहित और आसान बनाया। विरोध की आवाज को सुनना और उसका सम्मान करना यह वहां की परम्परा रही है। उस घटना की यादगार में यह तस्वीर उसी स्थान पर लगायी गयी जहां शिप पोर्ट से दूर खड़ा रहा था।

कनाडा में सिख समुदाय के लोग स्वतंत्रता से पहले ही, ब्रिटिश साम्राज्य के समय, माइग्रेट हो गये थे। आज से लगभग सवा सौ साल पूर्व पहला सिख व्यक्ति सरदार केसर सिंह था जो ब्रिटिश सरकार के समय कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में गया था और वहीं बस गया। शुरू में सिखों को वहां रहनेवाले गोरे लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और दंगे भी हुए पर धीरे-धीरे अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने वहां अपनी जगह बना ली। ज्यादातर सिख लोग खेती और वन-कार्यों में हैं। इसके अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन और अन्य कार्यों में लगे हुए हैं। आज उनकी संख्या वहां की आबादी का लगभग 1.4 प्रतिशत है, यानी करीब 5 लाख से ऊपर है। पंजाब में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिनके परिवार का कोई न कोई सदस्य अथवा रिश्तेदार कनाडा में न माइग्रेट हुआ हो। कनाडा में आज सिखों की संख्या ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में सबसे अधिक है।इसके अतिरिक्त ओंटारियो और अल्बर्टा प्रांत में भी है।

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