उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अन्तर्गत दिसंबर 2016 में विज्ञापित कनिष्ठ सहायक 2016 भर्ती के अभ्यर्थी लगातार इस भर्ती को पूर्ण करने की माँग उठाते रहे, पर योगी सरकार के पूरे 5 वर्षों में भी पूरी ना हो सकी उनकी भर्ती! अभ्यर्थी मारुत सिंह ने इस आयोग की लंबित पड़ी कुल 19 भर्तियों की सूची बनाकर मुख्य सचिव को भेजी, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की समीक्षा कर इसे सुधारने की माँग उठायी! आयोग के सुधार की बात उठाये जाने के बाद सभी लंबित भर्ती के अभ्यर्थी उनके साथ जुड़ते गये, और अब 10 मार्च के बाद आयोग के सुधार हेतु एक बड़े आंदोलन की तैयारी है!
मारुत का कहना है कि सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष भी इस आयोग की उपेक्षा करता रहा है, सदन में कभी भी विपक्ष ने इस आयोग के पीड़ित अभ्यर्थियों की आवाज पुरजोर तरीके से नहीं उठायी। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सभी भर्ती के अभ्यर्थी व इस आयोग से राज्य सरकार की नौकरी पाने की चाह रखनेवाला हर एक युवा यह माँग उठाये कि आयोग में सुधार हो, सभी लंबित भर्तियां पूरी हों व विज्ञापन से लेकर नियुक्ति तक की प्रक्रिया एक वर्ष के भीतर पूरी हो !
मारुत का कहना है कि इस आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली से प्रदेश के 20 से 21 लाख युवा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।यह आयोग राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरने का कार्य करता है! परंतु आयोग के अधिकारियों की लापरवाही और सुस्त रवैये से प्रदेश के युवा मानसिक पीड़ा में हैं! योगी सरकार के कार्यकाल में निकली भर्तियों में सिर्फ एग्रीकल्चर टेक्नीशिकल असिस्टेंट और युवा कल्याण अधिकारी भर्ती के तहत लगभग 2500 पदों पर ही नियुक्ति मिल पायी, इस सरकार की निकली सभी 10 रिक्तियां लंबित हैं जिसमें सबसे चर्चा में रही ग्राम पंचायत अधिकारी 2018 भर्ती के अभ्यर्थी चयनित होकर भी बेरोजगार बैठे हैं और पिछली सरकार में वर्ष 2016 में निकली आबकारी सिपाही, कनिष्ठ सहायक,आईटीआई अनुदेशक व कम्प्यूटर आपरेटर भर्ती के अभ्यर्थी आज तक अपनी भर्ती के पूर्ण होने के इन्तजार में हैं!
विगत चार वर्षों से जिस लेखपाल भर्ती के विज्ञापन लाने का योगी सरकार ने प्रचार किया वो इस सरकार के कार्यकाल के अंत में 2022 में आयी है, इसकी परीक्षा कब होगी कोई अता पता नहीं! दिसंबर 2019 में 50 हजार भर्तियां जल्द लाकर उसे 90 दिनों के भीतर पूरा कराने का प्रचार करनेवाली योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के अंत में सिर्फ 19000 पदों पर विज्ञापन जारी किया है, जिनकी परीक्षाएं कब होंगी कोई जानकारी नहीं! मारुत का कहना है कि इस तरह की कार्यप्रणाली से युवा आक्रोशित हैं, अगर सरकारें इस आयोग को लेकर गंभीर नहीं हुईं तो जल्द एक बड़ा आंदोलन होगा!
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