Home दशा-दिशा अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था

क्या आज डिजिटल रुपये की आवश्यकता है?

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— उत्सव यादव — पिछले दिनों की आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीडीसी (सेन्ट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) को अभी एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह...

विशालतम जनसंख्या दायित्व ही नहीं, ताकत भी है

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— डॉ. लखन चौधरी — देश की विशालतम जनसंख्या हमारी सबसे बड़ी समस्या और चिंता बनी हुई है, बल्कि इस समय देश की सबसे बड़ी...

जमा धनराशि पर बैंकों की जवाबदेही तय होनी चाहिए

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— अजय खरे — देश भर में हो रहे साइबर अपराध के चलते करोड़ों जमाकर्ताओं का बैंकों में रखा पैसा सुरक्षित नहीं कहा जा सकता...

आज के भारत में विषमता कितनी है

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— रमाशंकर सिंह — विदेशमंत्री जयशंकर का यह ताजा बयान कि भारत प्रति व्यक्ति 2000 डॉलर (160000 रु. आय प्रतिवर्ष यानी करीब 13333 रु प्रतिमाह...

भूख है तो सब्र कर

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— जयराम शुक्ल — मुट्ठीभर गोबरी का अन्न लेकर लोकसभा पहुंचे डॉ राममनोहर लोहिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूसे कहा- लीजिए, आप भी खाइए इसे,...

संविदा प्रथा अभिशाप है

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— धर्मेन्द्र श्रीवास्तव — ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने संविदाकर्मियों/श्रमिकों को नियमित करने का निर्णय लिया है, यह बहुत ही स्वागतयोग्य कदम है। संविदा...

भारत में बढ़ती गैरबराबरी पर चुप्पी क्यों है?

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— प्रभात कुमार — भारत आज भी गरीबों, मजलूमों और मजदूरों का विशुद्ध देश है। कम से कम इस देश की 50 फीसद आबादी आजादी...