हिंदी में कितना कमाते हो ? लिखकर क्या मिलता है ? कितनी रॅायल्टी मिली ? आदि सवाल लेखक से खूब पूछे जाते हैं.ये सवाल क्यों पूछे जाते हैं ,हम नहीं जानते.पूछने वालों का मंशा एक ही होती है कि...
— केयूर पाठक — उत्तर-आधुनिकता का दौर है- अबूझ और अपरिभाषित वास्तविकताओं का दौर. कला, धरम-करम, समाज, संस्कृति, ज्ञान, विज्ञान सब संदिग्ध और सशंकित. अनगिनत अर्थ और ढेर सारी व्याख्याएं. Deconstruction और Destruction दोनों का सह अस्तित्व- कई बार समानार्थी....
— प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की जिस तरह शुरुआत की है और उसे अपना प्रधान कार्यक्रम बनाया है उसके दार्शनिक और सामाजिक फलितार्थों की ओर हमारा ध्यान नहीं गया है। हम मीडिया बाइटस...
— प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी — साइबर युग में हिंदी दि‍वस का वही महत्‍व नहीं है जो आज से चालीस साल पहले था। संचार क्रांति‍ ने पहलीबार भाषा वि‍शेष के वर्चस्‍व की वि‍दाई की घोषणा कर दी है। संचार क्रांति‍ के...
1946 से 1950 1. संविधान सभा में संविधान सभा ने 9 दिसंबर 1946 से अपना कार्य आरंभ किया और 1948 में पहला मसौदा प्रस्तुत किया गया। इस मसौदे में देश में लोक सभा (House of People) का चुनाव कैसे होगा इसकी...
— परिचय दास — ।। एक ।। खेल की संस्कृति मनुष्य की सामूहिकता का सबसे प्राचीन और सहज रूप है। जिस क्षण बालक अपने कदमों पर खड़ा होना सीखता है, उसी क्षण वह किसी खेल की ओर आकर्षित होता है—कभी कंकड़...
कार्ल मार्क्स का सर्वहारा इतिहास का वह वर्ग है, जो प्रभुवर्ग द्वारा शोषित, पीड़ित, और अनाहत है। महात्मा गांधी का हरिजन भारतीय समाज का वह वर्ग है, जो सवर्णों द्वारा तिरस्कृत और पददलित है। मगर समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर...
— संजय जोठे —   भारत की सबसे बड़ी और पुरानी समस्या पर एक नयी रोशनी पड़ने लगी है। तकनीकी विकास की मदद से अब एक नयी मशाल जल उठी है जो भारतीय दर्शन और तत्वचिंतन के वेदांती स्कूल की...
— अरुण कुमार गोंड — बचपन में खेले जाने वाले खेल न केवल शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करते है, बल्कि मानसिक और सामाजिक कौशल को भी मजबूत बनाते हैं। परंपरागत रूप से, भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में कबड्डी, गिल्ली-डंडा, छुपन-छुपाई, खो-खो,...
— शंभू नाथ — हिंदुओं ने बुद्ध को अपना नौवां अवतार मान लिया, पर मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि हमने उनके किस वचन को अपनाया। बुद्ध हमें अपने लगते हैं, पर हमने उनका कोई विचार नहीं चुना।...