नंगई का नजारा
— विवेक मेहता —
तिल का ताड़ बनाना हो, राई का पहाड़ खड़ा करना हो, बाल की खाल निकालना हो, बातों का बतंगड़ बनाना हो...
मिस्टर फोर्टी परसेंट
— विवेक मेहता —
भाई लोग बतंगड़ बनाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते। जोड़-तोड़ से बनी, 40% कमीशन वाली सरकार के...
किस रंग का होता है प्रेम?
— ध्रुव शुक्ल —
छुटपन से ही सुनता आया हूं कि सबको प्रेम के रंग में रंग जाना चाहिए। उन दिनों मन में खयाल आता...
गमला और अमला
— विवेक मेहता —
बात का बतंगड़ बनने में देर ही कितनी लगती है। दो लोग सड़क किनारे फूलों के गमले उठाकर महंगी गाड़ी की...
जन जागें तो बचे लोकतंत्र का मान
— ध्रुव शुक्ल —
सवाल अब यह नहीं है कि चुनाव में अराजकता फैलाने वाले गुण्डे किस राजनीतिक दल के हैं। क्योंकि हरेक दल एक-दूसरे...
बात और बतंगड़
— विवेक मेहता —
बात का बतंगड़ बनाना इसे ही कहते हैं। खबर तो आपने भी पढ़ी होगी। दो रुप्पली वाली। अरे वही, महाराष्ट्र वाली।...
कानपुर सम्मेलन में कांग्रेस से क्यों अलग हुए थे समाजवादी!
— डॉ सुनीलम —
समाजवादियों को यह जानना जरूरी है कि 26 से 28 फरवरी 1947 को कानपुर में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का सम्मेलन 9...
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस : कुछ सवाल
— शंभुनाथ —
कल एक जेनरल स्टोर्स में एक मां अपने 4 साल के बच्चे के साथ घुसी। वह बच्चे को अंग्रेजी में कुछ न...
ड्रग्स का चक्कर और औसत कमाई
— विवेक मेहता —
चाय के ठीये पर बैठकर अखबार के पन्ने पलटते हुए ज्ञान बधारने का जो आनंद है, वह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटीज की कक्षा...
पंथनिरपेक्षता की नयी परिभाषा सुनते हुए
— ध्रुव शुक्ल —
राज्यसभा में प्रधानमंत्री जी ने पंथनिरपेक्षता की नयी परिभाषा करते हुए कहा कि - सबको लाभ पहुंचाना सच्चा सेकुलरिज्म है। पर...

















