पी.एन.सिंह का होना और न होना
— रामप्रकाश कुशवाहा —
गत एक जुलाई को ही प्रसिद्ध समालोचक और विमर्शकार डॉ .पी.एन. सिंह का जन्मदिन मनाने तथा उनकी रचनावली के लोकार्पण समारोह...
सुनील भाई की सीख
— गोपाल राठी —
बात 1994 में हुए पिपरिया विधानसभा चुनाव की है। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से श्री सुरेश राय भाजपा से...
भूमिगत जीवन और मधु लिमये से संपर्क
— जयशंकर गुप्त —
कई महीने जेल में बिताने के बाद परीक्षा के नाम पर हमें पैरोल-जमानत मिल गई लेकिन हम एक बार जो जेल...
किसानों के सच्चे हितैषी थे समाजवादी नरेंद्र सिंह
— डॉ सुनीलम —
नरेंद्र सिंह जी की मौत की खबर स्तब्ध करनेवाली है। वे समाजवादी आंदोलन के मजबूत स्तंभ थे। उनका किसान और मजदूर...
दीपक जी के प्रति सभी के मन में बहुत सम्मान था
— मदनलाल हिन्द —
दिल्ली में 24 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड में डा लोहिया रहते थे। उसमें दो सर्वेन्ट क्वार्टर थे। वहां शांति थी, शोरगुल नहीं...
कैसे बुझेगी अग्निपथ की आग
— सुनील कुमार —
केंद्र सरकार द्वारा घोषित टूर ऑफ ड्यूटी ने देश भर में सैनिक भर्ती अभ्यर्थियों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है।...
एक थे शास्त्री, नाम था यमुनाप्रसाद!
— जयराम शुक्ल —
राजनीति और नेतागिरी आज जिस पतनशीलता के दौर से गुजर रही है, आम आदमी के मुद्दे कारपोरेट के डस्टबिन में डाले...
अग्निवीर या बलि के बकरे?
— रामशरण —
आपको याद होगा जब भारत चीन सीमा पर तनाव चरम पर था सरकार-भक्त मीडिया में एक वीडियो खूब दिखाया गया था। इसमें...
नेहरू का सपना
— कुमार शुभमूर्ति —
हम गांधीवादी लोग नेहरू की कुछ बातों के कटु आलोचक रहे हैं। खासकर उनकी जो औद्योगिक-आर्थिक नीति थी उसे हम गांधी...
इस विनाश की ग्रोथरेट कौन नापे!
— जयराम शुक्ल —
"नीतिग्रंथों में लिखा है कि प्रकृति से हम उतना ही लें जितना कि एक भ्रमर फूल और फल से लेता है।...