हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है

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— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन — (चौथी किस्त ) ऐसे हालात में सीमा प्रांत में जनमत संग्रह करवाया गया, जल्‍दी से आज़ादी मिले इसी हड़बड़ी में कांग्रेस ने...

हमारी लोक संस्कृति के नायक हैं बाघ

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— जयराम शुक्ल — चीन भले ही अपने काल्पनिक/भुतहे ड्रैगन(अजदहा) को लेकर इतराता रहे लेकिन हम वास्तव में 'टाइगर नेशन' हैं। विश्व बाघ दिवस की...

हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है

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— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन — (तीसरी किस्त ) महात्‍मा गांधी, बादशाह ख़ाँ, जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया तथा उन जैसे अनेक लोगों ने हिंदुस्‍तान को अँग्रेज़ी सल्‍तनत से...

हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है

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— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन — (दूसरी किस्त ) सन 1939 में जब गांधीजी सीमा प्रांत के दौरे पर गए तो बादशाह ख़ान ने गांधीजी से कहा था :...

वनाधिकार कानून कहां है

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— नवनीश कुमार — हाल ही में गोरे अंग्रेजों के समय के दमनकारी ''देशद्रोह'' कानून की वैधता पर हैरानी जताते हुए सरकार से पूछा है...

लहू बोलता भी है

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— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन — सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की किताब का टाइटल ‘लहू बोलता भी है’ पढ़कर शुरू में अटपटा सा लगा, क्‍योंकि लहू खौलता...

नशा और नंगई के बीच नौनिहाल!

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— जयराम शुक्ल — अब यह बताने की जरूरत नहीं कि मासूमों के साथ बलात्कार फिर हत्या जैसे अपराधों का सैलाब क्यों तेजी से उफनने...

राष्ट्रपिता और फादर

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— कुमार कलानंद मणि — सन 1922 में गांधीजी को यरवदा जेल में रखा गया था। जेल के सुपरिटेंडेंट मेजर जोंस को लगा कि गांधीजी...

गांधीवादी संस्थाओं पर गिद्ध-दृष्टि

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— जागृति राही — गांधी विचार की संस्थाओं, आश्रमों में घुसपैठ और उन पर कब्जे की कोशिश बीजेपी की सरकारें और संघ के समर्थक लगातार...

राहुकाल से लोकतंत्र के निकलने की शेषकथा

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— जयराम शुक्ल — (तीसरी और अंतिम किस्त ) चाटुकारिता भी कभी-कभी इतिहास में सम्मान योग्य बन जाती है। आपातकाल  के उत्तरार्ध में यही हुआ। देशभर से...