आपातकाल को भूल नहीं सकते
— रामबाबू अग्रवाल —
आजाद भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख अहम है। इसी दिन यानी 25 जून 1975 को स्वतंत्र भारत के...
विंध्य का वह संघर्ष
— जयराम शुक्ल —
विन्ध्यप्रदेश आज जिंदा होता तो बीते अप्रैल की चार तारीख उसका 73वाँ स्थापना दिवस मनाया गया होता। अब सिर्फ स्मरण का...
शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
— राजेश प्रसाद —
- गुरुदेव, अयोध्या में चल रही भूमि-लीला समझ में नहीं आ रही है! अत्यंत चिंतित हूं।
- हे वत्स, जिसका चित्त प्रभु...
केनेथ कौंडा के बगैर
— अनिल नौरिया —
बीसवीं शताब्दी के एक दिग्गज केनेथ कौंडा नहीं रहे। उनकी गिनती अफ्रीकी मुक्ति संघर्ष के पहली पांत के नेताओं में होती...
आँखों देखा दिल्ली-6 का नज़ारा
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
दिसंबर की रात के 12 बजे, हाड़ कंपकंपाती सर्दी, कड़कती हुई बिजली, घनघोर बारिश के बीच कम्बल ओढ़े, एक हाथ...
जाति कब टूटेगी
— संजय कनोजिया —
एक समय था जब दकियानूसी तथा पाखंड व अन्धविश्वास से सनी प्रथाओं के बारे में लोग कहते थे कि सती-प्रथा कभी...
पत्रकारिता की बलि चढ़ाता मीडिया
— शैलेन्द्र चौहान —
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का काम यह होना चाहिए था कि वह लोगों को जागरूक करे किन्तु टीआरपी के चलते समाचार चैनल इन दिनों...
पसमांदा की पीड़ा
— अरमान अंसारी —
हाजी नेसार अंसारी उत्तर प्रदेश में, मऊ जिले के निवासी हैं। उनके परिवार में कपड़ा बुनने का पुश्तैनी धंधा चला आ...
एक मार्गदर्शक बुद्धिजीवी
– प्रणय कृष्ण –
(यह लेख वर्ष 2015 में प्रो लालबहादुर वर्मा को शारदा देवी शिक्षक सम्मान प्रदान करने के अवसर पर 'मानपत्र' के रूप में...
हिमालय-सा व्यक्तित्व था उनका
— रमेश चंद शर्मा —
पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा जी के अनेक प्रेरणास्रोत रहे। वनाधिकारी उनके पिता अंबाप्रसाद बहुगुणा का देहावसान उनके बचपन में ही हो...
















