देशकाल को देखते हुए संपूर्ण समता के कुछ संभव रूप यहाँ जतलाने की अब मैं कोशिश करूँगा। अकस्मात् जो कोई बात मन में आएगी उसे मैं लिख दूँगा। कोई सुसंगठित …
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(डॉ लोहिया का यह लेख 1966 का है। कुछ महीने पहले सेतु प्रकाशन से अरविन्द मोहन के संपादन में लोहिया के चिंतन का एक चयन प्रकाशित हुआ है। लोहिया का …
(राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी विचार ने भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति को किस तरह, पुरअसर तरीके से, प्रभावित और प्रेरित किया, यह जानने के लिए, गहन अध्ययन, चिंतन और मनन से …
— राममनोहर लोहिया — भारत के साम्यवादियों ने मेरी यह कहकर बड़ी निंदा की है कि मैं अमरीकी एजेंट हूँ और मैंने अमरीकी डॉलर खाये हैं। एक-दो बार मैंने निरी …
— राममनोहर लोहिया — स्वभावतः दोहरे काम के साथ कई प्रकार की कठिनाइयाँ और खतरे आएंगे और इस वर्ग-संघर्ष का चौखट भी पूरी तरह बदलेगा। साम्यवादी का वर्ग-संघर्ष आसान है। …
— राममनोहर लोहिया — अब हम विकास के उन नियमों पर विचार करेंगे जो स्वतः चालित नहीं हैं। भारत के तुलनात्मक आँकड़ों के अध्ययन से हमने देखा है कि मार्क्सवादी …
— राममनोहर लोहिया — एक प्राक्कल्पना है। मान लो पूँजीवाद की जंजीर भारत में टूटती है। प्रति व्यक्ति 150 रुपए के औजार से यहाँ क्या काम होगा। हमारे पास इतने …
— राममनोहर लोहिया — एशियाई देशों और गणतंत्रों का असली राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चक्र या गरुड़ नहीं है। इंडोनेशिया का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है और भारत का अशोक चक्र। अगर …
— राममनोहर लोहिया — अभी मैं तथ्यों पर न जाकर आपका ध्यान कुछ प्रक्रियाओं की ओर खींचूँगा। सर्वहारा का निर्धनीकरण पूँजीवादी देशों में निश्चय नहीं हुआ। हमने कितनी ही उम्मीद …
— डॉ. राममनोहर लोहिया — किसी पंथ या विचारधारा पर विचार करते समय आमतौर पर हमारी नजर अंतिम लक्ष्य पर जाती है। मार्क्सवाद के भी अपने अंतिम लक्ष्य हैं। इनमें …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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