— शैलेन्द्र चौहान — हिंदी साहित्य में आज यह स्थिति है कि स्वतः कोई पाठक आपकी रचनाएं नहीं पढ़ता। उन्हें पढ़वाने के लिए आपको स्वयं प्रयास करना पड़ता है। लिखने …
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— शैलेन्द्र चौहान — समाज के शिक्षित वर्ग में खासतौर से हिंदीपट्टी में संप्रति साहित्य के पठन-पाठन में दिलचस्पी घटती जा रही है। यद्यपि किताबें खूब छप रही हैं। गत शती तक …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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