Tag: Umesh Prasad Singh
दिवालिया समय में दीवाली
— उमेश प्रसाद सिंह —
जीवन केवल बाहर-बाहर ही नहीं है। जीवन केवल भीतर-भीतर भी नहीं है। भीतर और बाहर की समन्विति में ही जीवन...
हेरत हेरत हे सखी
— उमेश प्रसाद सिंह —
मैं कबीर नहीं हूं। मगर मैं कुछ खोज रहा हूं। मैं जो खोज रहा हूं वह कोई बड़ी चीज नहीं...