3 अप्रैल। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पंजाब के किसानों, मजदूरों, महिलाओं, कर्मचारियों, छात्रों, युवाओं,आढ़ती, परिवहन, शिक्षकों, विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और अन्य संगठनों की एक संयुक्त बैठक आज पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में हुई। पीएयू शिक्षक संघ, पीएयू कर्मचारी संघ और पीएयू छात्र संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सौ से अधिक संगठनों ने भाग लिया।
हालांकि आंदोलन की मजबूती में कमी नहीं होगी पर फसल कटाई के सीजन में, किसानों-मजदूरों को दिल्ली के मोर्चों से अपने खेतों की ओर जाना होगा और दिल्ली के मोर्चे को उसी ताकत से रखना होगा। उसी समय, मोर्चे को मजबूत करने के मकसद से, पंजाब के किसान संगठनों ने अन्य संगठनों का समर्थन जुटाने के लिए यह बैठक आयोजित की थी। संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ दर्शन पाल ने इस अवसर पर कहा पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों ने इस आंदोलन के जुनून को बनाए रखा है। साथ ही, उन्होंने कहा कि सिख भावना ने इस संघर्ष के माध्यम से एक बार फिर उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के अपने जज्बे का परिचय दिया है। किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने मोर्चे की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की और पंजाब के लोगों को इस आंदोलन में सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया।
संयुक्त किसान मोर्चा और आज के कार्यक्रम में शामिल हुए संगठनों और व्यक्तियों ने जलंधर के देश भगत यादगर हॉल में 7 अप्रैल, 2021 को पहली बैठक के साथ ‘पंजाब फॉर फार्मर्स’ नामक एक मोर्चा बनाने का फैसला किया है। इसके माध्यम से फसल कटाई के दौरान ड्यूटी वितरित करके दिल्ली मोर्चा में भागीदारी बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि आनेवाले समय में मोर्चे में मजदूरों की भारी भागीदारी होगी। नए श्रम कानून को मुल्तवी रखने के केंद्र सरकार के फैसले को मजदूरों और किसानों की जीत बताते हुए उन्होंने कहा कि अब किसान और कामगार मिलकर निजीकरण के खिलाफ लड़ेंगे।
इस दौरान पहुंचे सभी संगठनों ने आश्वासन दिया कि वे खुले दिल से मोर्चे को मजबूत करेंगे। इस बीच, आरएमपी यूनियन के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि दिल्ली में चिकित्सा सुविधाओं और एम्बुलेंस और अन्य सुविधाओं की कोई कमी नहीं होगी। पुलिस की गोली से मारे गए नवरीत सिंह के दादा और विचारक बाबा हरदीप सिंह जी डिबडिबा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रो जगमोहन सिंह ने एक सामूहिक थिंक टैंक बनाने का सुझाव दिया और कहा कि उनके पुस्तकालय में किसान व मजदूर की मुक्ति के आर्थिक ढांचे बनाने के लिए सभी पुस्तकें और सामग्री उपलब्ध होंगी। स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी के प्रतिनिधि रमनप्रीत सिंह ने कहा कि इस आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिए अखिल भारतीय एकजुटता मोर्चा होना चाहिए। बैठक में अर्थशास्त्री पी साईनाथ का संदेश देते हुए, डॉ कुलदीप सिंह ने कहा कि 10 अप्रैल से 10 मई तक, सामाजिक, आर्थिक, किसान-मजदूर और जन-समर्थक समझ रखने वाले बुद्धिजीवियों का दिल्ली मोर्चे में रोजाना भाषण व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि तीनों खेती कानून के श्रमिकों पर प्रभाव पर किसान संगठनों के सहयोग से अनेक तरीको से सच बताया जाएगा। आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम और बिजली अध्यादेश श्रमिकों के लिए मौत के वारंट के रूप में कैसे काम करेगा, यह सभी मजदूरों को समझाया जाएगा। आने वाले समय में गांव, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर की बैठकें करके पत्रक, सेमिनार और अन्य माध्यमों से श्रमिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रयास किये जायेंगे।
आयोजक हरमीत कोकरी ने कहा कि वह आंदोलन में कृषि अनुसंधान की जिम्मेदारी को समझते हुए हर संभव कार्रवाई करेंगे। डॉ सुखपाल सिंह ने कहा कि खेत मजदूरों की आत्महत्या के हालिया आंकड़े बताते हैं कि वे कितने गहरे संकट में है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वे ग्रामीण मजदूर, खेत मजदूर और शहरी मजदूरों पर आवश्यक वस्तु अनुसंधान अधिनियम के घातक प्रभावों के बारे में लिखकर अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
किसान मोर्चे से जगजीत सिंह डल्लेवाल , निर्भय सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, मुकेश चंद्र, मनजीत सिंह धनेर, डॉ दर्शन पाल, जंगबीर सिंह, हरमीत सिंह कादियां, प्रेम सिंह भंगू, सुरजीत सिंह फूल, हरपाल संघा, कुलदीप वजिदपुर, किरनजीत सिंह सेखों, बलदेव सिंह सिरसा, मेजर सिंह पुनावाल, बलदेव सिंह निहालगढ़, गुरबख्श बरनाला, दविंदर सिंह धालीवाल और अन्य किसान नेता बैठक में उपस्थित थे।