किसानों ने कृषि मंत्री को सुनाई खरी-खोटी

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19 मई। तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के साथ सरकारी वार्ता की अगुवाई करने वाले कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मंगलवार को मध्यप्रदेश में तीखे विरोध का सामना करना पड़ा।

मध्य प्रदेश में स्थानीय किसानों ने मंगलवार को दोपहर केंद्रीय कृषिमंत्री के काफिले को श्योपुर में सड़क पर ही रोक लिया और किसानों ने उनसे सड़क पर ही बात करने के लिए मजबूर कर दिया। समुद्र तटीय इलाकों में आए चक्रवाती तूफ़ान ताउते के कारण दिन भर बारिश होती रही।लेकिन किसानों ने बारिश के बीच शहर से निकल रहे तोमर के काफिले को बीच में ही रोक लिया। किसानों ने उनसे कहा कि एसडीएम और प्रशासन से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन नहीं दिया गया इसलिए मजबूरी में किसानों ने उनसे सड़क पर ही मिलने का फैसला किया।

किसानों ने तोमर से कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की मांग रखी। किसानों ने सरकार की ओर से आंदोलन को बदनाम किए जाने की कोशिशों की निंदा की और मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए।

हालांकि पुलिस और सुरक्षा बलों ने किसी तरह किसानों के घेराव के बीच से तोमर की गाड़ी को सुरक्षित निकाला और किसानों पर बल प्रयोग कर उन्हें रोकने की कोशिश की।

इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर हिरासत में लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पुलिसिया दमन की निंदा करते हुए सरकार से तीनों कानून वापस लेने की मांग दोहराई है। मोर्चा ने एक बयान जारी कर उर्वरकों के दाम में वृद्धि का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।

बयान के अनुसार, तीन कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार ने एमएसपी पर एक बड़ा हमला किया है और आनेवाले समय में एमएसपी को आधिकारिक तौर पर भी खत्म करने की सरकार की योजना थी। वर्तमान किसान आंदोलन के दबाव में सरकार प्रत्यक्ष रूप से एमएसपी खत्म नहीं कर सकी पर अप्रत्यक्ष रूप से उसकी कोशिशें जारी हैं।

बयान में कहा गया है कि खेती के लिए अति महत्त्वपूर्ण रासायनिक खाद डाई अमोनियम फास्फेट या डीएपी काफी महंगी हो गई है। सहकारी क्षेत्र के इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोओपरेटिव (IFFCO) ने 50 किलो वाले डीएपी खाद की कीमत में 58.33 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। पिछले महीने तक जो खाद की बोरी 1,200 रुपये में मिलती थी, उसकी कीमत अब 1,900 रुपये कर दी गई है। बाजार में अब इस दाम की बोरी आने भी लग गयी है।

मुख्य रूप से डीएपी व डीजल के बढ़ते भाव के कारण एमएससी सिर्फ नाम की रह गई है। कृषि में लागत बढ़ रही है व किसान को उसकी फसल का भाव नहीं मिल रहा। किसानों को घाटे में रखकर उन्हें बेदखल करने की नीति अब साफ होती जा रही है। मोर्चा ने मांग की है कि डीएपी का बढ़ाया गया रेट तुरंत वापस लिया जाए।

(workersunity.com से साभार )

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