19 मई। मुंबई उच्च न्यायालय ने फादर स्टैन स्वामी को एक बार फिर जेजे अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया है। इस आदेश से एक दिन पहले ही उन्हें तलोजा जेल वापस ले जाया गया था। अदालत ने उनका मेडिकल चेकअप कराने का निर्देश देते हुए कहा कि सारे जरूरी टेस्ट करने के लिए जेजे अस्पताल के डीन डॉक्टरों की एक कमेटी बनाएं और मेडिकल रिपोर्ट शुक्रवार 21 मई को पेश करें।
झारखंड के आदिवासियों के अधिकारों के लिए दशकों से संघर्ष करते आ रहे वयोवृद्ध फादर स्टैन स्वामी को केंद्र सरकार ने एलगार परिषद मामले में आरोपी बनाया हुआ है। स्वामी की हालत तलोजा जेल में लगातार बिगड़ती गई है, जहां मेडिकल सुविधा नाममात्र की है। वह पर्किन्सन बीमारी से पीड़ित हैं, वह सुन नहीं सकते, बिना सहारे के खड़े नहीं हो सकते। लेकिन केंद्र सरकार की निगाह में वह एक खतरनाक व्यक्ति हैं। तलोजा जेल में कोविड फैलने की खबर पर फादर स्टैन स्वामी के वकीलों ने जेल में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन न होने तथा पर्याप्त मेडिकल सुविधा न होने का हवाला देते हुए मेडिकल जमानत के लिए फौरन सुनवाई की अर्जी 17 मई को दायर की थी। उस अर्जी में फादर को बुखार और खांसी की तकलीफ भी बताई गई थी।
इससे पहले 4 मई को हाईकोर्ट ने तलोजा जेल में फादर की हालत के बारे में राज्य सरकार को मेडिकल रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था। इसपर जेल अधिकारियों ने जो रिपोर्ट दी उसमें कहा गया था कि स्वामी की हालत स्थिर है और उन्हें प्रोटीनयुक्त भोजन के अलावा पर्याप्त मात्रा में गर्म पानी और दो तीमारदार की सुविधा दी जा रही है। लेकिन स्वामी के वकील का तर्क था कि जेल अधिकारियों की रिपोर्ट में स्पांडिलाइटिस से होनेवाली पीड़ा समेत उन बीमारियों का कोई जिक्र नहीं है जिनसे स्वामी पीड़ित हैं।
हाईकोर्ट ने 18 मई को स्वामी को जेजे अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था पर उन्हें कुछ ही घंटों बाद जेल वापस ले जाया गया। देखना है अब 21 मई को हाईकोर्ट का क्या आदेश आता है।
इसी तरह के एक अन्य मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने प्रो हैनी बाबू को बेहतर इलाज के लिए ब्रीच कैंडी अस्पताल में शिफ्ट करने की इजाजत दे दी। अलबत्ता इस प्राइवेट अस्पताल में उनके इलाज पर आनेवाला खर्च उनका परिवार उठाएगा। प्रो हैनी बाबू की अर्जी में कहा गया था कि उनका सिर्फ कोविड संक्रमण का इलाज किया जा रहा है जबकि वह आंख के संक्रमण से भी पीड़ित हैं, जिसे ब्लैक फंगस कहा जा रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रो हैनी बाबू की अर्जी का विरोध किया था, पर हाईकोर्ट ने उसकी दलील खारिज कर दी।