5 जून। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज दिल्ली की सरहदों पर और पूरे देश में किसान संपूर्ण क्रांति दिवस मनाएंगे। 5 जून की तारीख इसलिए चुनी गई है कि 1974 में इसी तारीख को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। एक और संयोग संयुक्त किसान मोर्चा के लिए बहुत मायने रखता है, वह यह कि पिछले साल इसी तारीख को मोदी सरकार ने तीन किसान विरोधी कानूनों का अध्यादेश जारी किया था।
संपूर्ण क्रांति दिवस से कुछ दिन पहले, 26 मई को किसानों ने आंदोलन के छह माह और मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर काला दिवस मनाया था। तब भी संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को देशभर से समर्थन मिला और काला दिवस मनाने में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन भी शामिल रहे, और अब 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने के आह्वान पर भी किसान संगठनों के अलावा और भी बहुत सारे संगठनों ने उत्साह दिखाया है।
कई जगह से संपूर्ण क्रांति दिवस की पूर्व संध्या पर ही बीजेपी के सांसद या विधायक के आवास के सामने किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाई गईं। संयुक्त किसान मोर्चा ने संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर भाजपा के सांसदों, विधायकों के आवास के सामने कृषि कानूनों की होली जलाने का आह्वान कर रखा है।
किसानों के महीनों से लगातार डटे रहने और बंगाल में हार का मुंह देखने के बाद भाजपा की हताशा और बौखलाहट साफ दिख रही है और वह रह-रहकर दमनकारी कदम उठा रही है। हरियाणा के फतेहाबाद में तीन किसान नेताओं को चोरी-छिपे जेल भेजना इसका ताजा उदाहरण है।
इस गिरफ्तारी की संयुक्त किसान मोर्चा ने कड़ी निन्दा की है और खट्टर सरकार को चेताया है कि वह ऐसी कार्रवाई से बाज आए और गिरफ्तार किसानों को रिहा करे तथा उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले। इस गिरफ्तारी के खिलाफ 5 जून को हरियाणा के टोहाना में आयोजित किसानों के धरने में योगेन्द्र यादव भी शामिल होंगे।
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