7 जून। संवादहीनता दुनिया की बड़ी समस्याओं में से एक है। जब संवादहीनता बढ़ती है तब गलतफहमियां बढ़ जाने के कारण दूरियां बन जाती है। एक दूसरे को देखने का नजरिया बदल जाता है। कई बार दूसरे का पक्ष न समझ पाने के कारण प्रतिद्वंद्विता, टकराव और हिंसा में बदल जाती है।
आज तक हुए गोलीचालनों की रिपोर्टों में आंदोलनकारियों और पुलिस प्रशासन के बीच संवादहीनता को गोलीचालन का मुख्य मुद्दा माना गया है।
कोरोना काल में अचानक लॉकडाउन कर दिए जाने के बाद संवादहीनता बढ़ गई। मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जो कई वर्षों तक साल में 200-300 दिन घूमता रहा। लॉकडाउन के कारण समाजवादी विचार यात्रा को रोकना पड़ा था। यानी पिछली जनवरी के बाद से ही संवाद के रास्ते बंद हो गए थे। ऐसी स्थिति में सामूहिक तौर पर संवाद के फेसबुक लाइव और जूम मीटिंग दो ही रास्ते बचे थे। ऐसी स्थिति से उबरने के लिए तथा लॉकडाउन से हुई समस्याओं को जानने और अपना पक्ष समाज और देश के सामने रखने के लिए मैंने बेगमगंज, मध्य प्रदेश में टीआर आठ्या जी तथा कांडीखाल, उत्तराखंड में जबर सिंह वर्मा जी से चर्चा हुई तब बहुजन संवाद की बुनियाद पड़ी।
केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ अभियान चलाना हो, समाजवादी समागम के कार्यक्रम करने हो या मंडल दिवस मनाना हो, हमने बहुजन संवाद में कार्यक्रम शुरू कर दिए। देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं,आंदोलनकारियों एवं समाजवादियों से मेरा संपर्क पुराना था, बहुजन समाज के नेतृत्वकर्ताओं से संपर्क टीआर आठ्या और जबर सिंह वर्मा का था। हमने सोचा कि जब तक लॉकडाउन चलेगा तब तक बहुजन संवाद चलाएंगे।
इस बीच दो बार वक्ता के तौर पर डॉ लता प्रतिभा मधुकर जी, जबर सिंह वर्मा के माध्यम से बहुजन संवाद में आईं।बहुजन समाज के बारे में उनकी जानकारी और विश्लेषण ने सभी को प्रभावित किया। सबने उनके सामने बहुजन संवाद टीम से जुड़ने का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। डॉ लता प्रतिभा मधुकर जी के आने के बाद बहुजन संवाद की चर्चा का बौद्धिक स्तर बढ़ गया तथा उनके संपर्कों के वक्ताओं के आने से विभिन्न मुद्दों का विश्लेषण अधिक गहराई से होने लगा।
बहुजन संवाद के रोजाना होनेवाले कार्यक्रमों के लिए हम रोज सुबह 7: 30 बजे मीटिंग करने लगे। टीआर आठ्या जी पहले दिन से लिंक जनरेट करना और पोस्टर बनाने का काम संभाल ही रहे हैं। हाल ही में प्रशांत जी ने जुड़कर रोजाना प्रेस नोट बनाने और कार्यक्रम के दौरान टिप्पणी शुरू की है।
जब हमने देखा कि बहुजन संवाद के दर्शकों को संविधान से जुड़े विषय सबसे ज्यादा पसंद हैं, तब हमने संविधान को लेकर पूरी श्रृंखला की। गांधीवादियों और आंबेडकरवादियों की संवादहीनता को कम करने के लिए हमने गांधी- आंबेडकर संवाद किया। गांधी-लोहिया-जयप्रकाश श्रृंखला की तथा आगे जाकर मानव अधिकारों पर भी श्रृंखला की।
बहुजन संवाद में हमने यह भी देखा कि जब महिला वक्ता होती हैं तथा महिलाओं के विषय होते हैं, तब ज्यादा दर्शक बहुजन संवाद से जुड़ते हैं तथा ज्यादा शेयर किए जाते हैं। वैचारिक तौर पर महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में 50 फीसद होनी चाहिए ऐसा हम मानते हैं। इसलिए हमने बहुजन महिला संवाद की शुरुआत की तथा सप्ताह में 3 दिन महिला वक्ताओं के साथ चर्चा करने का निर्णय किया। बहुजन महिला संवाद टीम में सीरत जी, निशा जी और पंखुड़ी जी ने बढ़-चढ़कर रुचि ली है।
दो सप्ताह में ही बहुजन महिला संवाद में 150 से अधिक महिला साथी जुड़ चुकी हैं। बहुजन युवा संवाद एवं बहुजन अल्पसंख्यक संवाद की टीम भी अब बनने लगी है। बहुजन संवाद में हमने सप्ताह का व्यक्तित्व नाम से कार्यक्रम शुरू किया जिसे दर्शकों द्वारा सराहा गया है।
जब से वर्तमान किसान आंदोलन शुरू हुआ हम रोज दर्शकों को आंदोलन की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। सभी कार्यक्रम यू ट्यूब चैनल पर भी देखे जा सकते हैं।
मुझे इस बात की खुशी है कि तमाम किस्म की परेशानियों के बावजूद नियमित तौर पर बहुजन संवाद का 6 से 7 बजे का कार्यक्रम रोजाना विगत 365 दिन से हो रहा है। बहुजन संवाद की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसमें अब तक 1500 से अधिक ऐसे वक्ता आए हैं जिनका दृष्टिकोण बहुजनवादी है। सभी सक्रिय तौर पर लिखने-पढ़ने और स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक आजीवन आंदोलनों के साथ जुड़े रहे हैं। सभी का नाम है और काम है।
सबसे बढ़िया अनुभव यह आया कि वक्ताओं की पेशेवर या व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता कभी बहुजन संवाद के लिए बाधा नहीं बनी। हमें कई बाधाओं का सामना रोज करना पड़ता है। डिजिटल इंडिया में नेट सुचारु काम नहीं करता। वक्ताओं से सम्पर्क बार-बार कट जाता है। फेसबुक कई बार शेयर रोक देता है। इस सब के बावजूद हमने सुचारु रूप से 365 दिन आज पूरे किए हैं।
बहुजन संवाद का 1 वर्ष पूरे होने पर मैं बहुजन संवाद की पूरी टीम की ओर से सभी वक्ताओं और श्रोताओं को विशेष धन्यवाद देता हूं ,जिन्होंने बहुजन संवाद के लिए समय निकाला।
एक बात जो मैं बहुजन संवाद के कार्यक्रम के दौरान हमेशा कहता रहा हूं उसे दोहराना चाहता हूं कि बहुजन संवाद के हर कार्यक्रम ने मुझे रोज कुछ न कुछ सिखाया है, नई जानकारी दी है। हर रोज मुझे अपने ज्ञान और अनुभव की सीमाओं का एहसास कराया है। 1 वर्ष पूरा होने के बाद आज हमने ज़ूम मीटिंग कर विस्तृत चर्चा कर जमीनी स्तर पर काम करने के लिए बहुजन संवाद केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। जिसमें बहुजन संवाद के होनेवाले कार्यक्रमों विशेषकर वैचारिक कार्यक्रमों पर स्टडी सर्किल आयोजित किए जाएंगे। बहुजन संवाद केंद्र वैचारिक, वैकल्पिक राजनीति का प्रशिक्षण देनेवाला केंद्र बनेगा, जहां बहुजन नायक-नायिकाओं के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम के नायक-नायिकाओं तथा बहुजन लेखक-लेखिकाओं का साहित्य उपलब्ध कराया जाएगा।
मुझे याद आ रहा है मुलतापी किसान आंदोलन पर पुलिस गोलीचालन के 17 वर्ष बाद 24 किसानों की हत्या करनेवालों ने मुझे सफलतापूर्वक 54 वर्ष की सजा करा दी, तब मैं 4 माह भोपाल जेल में था, तब मैंने देश के समाजवादी नेताओं के नाम पत्र लिखकर समाजवादी विचार और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का सुझाव साथियों को दिया था। मेरे दिमाग में था कि देश के सभी जिलों में आजादी के आंदोलन और समाजवादी आंदोलन के हजारों नायक-नायिकाओं के नाम से ऐसे केंद्र शुरू किए जाएं। ऐसे सभी केंद्रों में साहित्य उपलब्ध कराने की बात भी कुछ साथियों से हुई थी। खैर, वह विचार मेरे पत्र और कल्पना में ही रह गया लेकिन जिस तरह से बहुजन संवाद केंद्र को लेकर साथियों ने रुचि दिखाई है उससे लगता है कि अगले 1 वर्ष में हम कुछ ठोस काम कर पाएंगे।
उम्मीद है कोरोना की तीसरी लहर के बाद जब स्थिति सामान्य होगी, तब हमारा प्रयास ज्यादा कारगर ढंग से आगे बढ़ सकेगा। अर्थात संवैधानिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध बहुजन संवाद केंद्र के माध्यम से अंधविश्वास निर्मूलन अभियान, महिला हिंसा प्रतिरोध और स्त्री-पुरुष समता अभियान, नशा मुक्ति अभियान, मृत्युभोज विरोधी अभियान, किसान और मजदूर हक अभियान, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार अधिकार अभियान, सांप्रदायिक सद्भाव अभियान, जातिप्रथा उन्मूलन अभियान, आदिवासी और घुमंतू विमुक्त के लिए जल, जंगल, जमीन अधिकार अभियान हम चला सकें यानी तब अभियान ऑनलाइन और बस्तियों में दोनों जगह साथ-साथ चलेगा।
बहुजन संवाद में सहयोग करनेवाले सभी साथियों का हृदय से आभार!
– सुनीलम
अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति
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