सत्यम ऑटो कंपनी के निकाले गए मजदूरों पर पुलिसिया कहर

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हीरो मोटोकॉर्प की वेंडर कंपनी सत्यम ऑटो के चार साल से गैर कानूनी तरीके से निकाले गए मजदूर लगातार धरना दे रहे हैं। वे कार्यबहाली की मांग रहे हैं जिनमें मजदूरों से लेकर महिलाएं और बच्चे तक शामिल हैं।

इनके संघर्ष का दमन करने के लिए हरिद्वार ने भारी पुलिस बल के साथ संघर्षरत मजदूरों समेत महिलाओं और बच्चों को जबरन उठा ले गए।

सामने आई जानकारी के अनुसार 22 जुलाई की सुबह 5 बजे सत्यम ऑटो कंपोनेंट हरिद्वार में संघर्षरत मजदूरों को जिला प्रशासन की मौजूदगी में पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्ण तरीके से उठाकर पुलिस लाइन ले जाया गया। आरोप है कि पुलिस ने महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट की और जबरन बसों में ठूंस दिया।

मजदूरों को पुलिस लाइन में जहां पर रखा गया। जानकारी के अनुसार वहां पर भी पुलिस द्वारा जबरदस्ती मजदूरों, महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट कर डरा धमका कर बांड भरवाय गया।

संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार शासन-प्रशासन द्वारा मजदूर विरोधी इस दंडात्मक कार्यवाही की घोर निन्दा की और पुतला फूंका।

इनके संघर्ष का दमन करने के लिए हरिद्वार ने भारी पुलिस बल के साथ संघर्षरत मजदूरों समेत महिलाओं और बच्चों को जबरन उठा ले गए।

अप्रैल महीने में डीएम हरिद्वार की मध्यस्थता में करीब एक माह पूर्व हुई वार्ता में यह सहमति बनी थी और मौखिक समझौता हुआ था कि मजदूर कंपनी गेट छोड़ दें और 2 दिनों के भीतर सभी मजदूरों की कार्यबहाली कर दी जायेगी। डीएम व एएलसी की बातों पर भरोसा कर मजदूरों ने कंपनी गेट छोड़ दिया था।

परन्तु बाद में कंपनी प्रबन्धक समझौते से मुकर गया और मजदूरों की कार्यबहाली नहीं की गई और डीएम व एएलसी भी अपनी जुबान व आश्वासन से मुकर गये।

दरअसल हीरो की वेंडर सत्यम ऑटो के 300 मजदूर गैर कानूनी तरीके से कंपनी से बाहर कर दी गए थे। मज़दूर लगातार 4 वर्षों से अपनी कार्यबहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सत्यम के निष्कासित श्रमिकों ने परिवार सहित इंदिरा अम्मा भोजनालय डीएम कार्यालय के सामने लगातार धरने के बाद 8 जुलाई फैक्ट्री गेट को दोबारा धरना शुरू किया था।

(समाचार ‘मेहनतकश’ से, फोटो workersunity.com से साभार )

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