अगस्त क्रांति दिवस पर राष्ट्रीय संवाद

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8 अगस्त। रविवार को अगस्त क्रांति दिवसके अवसर पर जेपी फाउंडेशन ने एक राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया। ऑनलाइन आयोजित राष्ट्रीय संवाद का विषय था- भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता संघर्ष में भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका। प्रसिद्ध समाजशास्त्री तथा  समाजवादी विचारक प्रो आनंद कुमार ने राष्ट्रीय संवाद की अध्यक्षता की। फाउंडेशन के सचिव डॉ संत प्रकाश ने  वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय सबके सामने रखा। इस संवाद में आमंत्रित  तीन प्रमुख  वक्ता थे- जेपी आंदोलन के नेता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी कुमार कलानंद मणि, दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में इतिहास विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अजीत झा और सत्यवती कॉलेज  (सांध्य) की इतिहास विभाग की प्रो नीरजा सिंह। वक्ताओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।  राष्ट्रीय संवाद का आरंभ जेपी फाउंडेशन के अध्यक्ष शशि शेखर सिंह के द्वारा विषय प्रवर्तन से हुआ।

कुमार कलानंद मणि ने 8 अगस्त, 1942 को अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा के समय गांधीजी के ऐतिहासिक भाषण का विस्तार से उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने घोषित कर दिया था कि हम भारतीय आज से अपने  को अंग्रेजी   साम्राज्य से स्वतंत्र समझें। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने भाषण में अहिंसा में पूर्ण आस्था को दुहराते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर डाला था।

डॉ अजीत झा ने आजादी के बाद  के इतिहासकारों  पर सवाल उठाया जो भारत की आजादी के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के कमजोर हो जाने को महत्त्व दे रहे थे और भारत के लोगों के लंबे संघर्ष को नजरअंदाज कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर द्वितीय विश्वयुद्ध की उपनिवेशों की आजादी में बहुत भूमिका होती तो दुनिया के अन्य उपनिवेशों को आजाद होने में इतना लंबा समय क्यों लगा।

प्रो नीरजा सिंह ने भारत छोड़ो आंदोलन को गांधी के पूर्व आंदोलनों से अलग बताया और इसकी भिन्नताओं को विस्तार से समझाया। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सांप्रदायिक संगठनों हिंदू महासभा, मुस्लिम लीग के साथ कम्युनिस्ट पार्टी  के विरोध के कारणों की भी चर्चा की। संवाद में शामिल शिक्षकों तथा युवाओं ने कई सवाल पूछे।

संवाद के अध्यक्ष प्रो आनंद कुमार ने भारत छोड़ो आंदोलन में कांगेस सोशलिस्ट पार्टी के युवा नेताओं की भूमिका का विस्तार से  उल्लेख किया। संवाद के अंत में प्रो प्रमोद यादव ने सभी वक्ताओं तथा सभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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