गुजरात के मंदिर ने 100 मुस्लिमों को रोजा तोड़ने, नमाज अदा करने का दिया निमंत्रण

0

27 अप्रैल। गुजरात के बनासकांठा जिले के दलवाना गाँव में 1200 साल पुराने वरंदा वीर महाराज मंदिर में पहली बार मुस्लिम रोजेदारों को अपना रमजान का उपवास तोड़ने और 9 अप्रैल को मगरिब नमाज अदा करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

ऐतिहासिक मंदिर में गाँव के 100 से अधिक मुस्लिमों को आमंत्रित किया गया था। मंदिर के 55 वर्षीय पुजारी पंकज ठाकर ने कहा कि गाँव के लोग हमेशा समरसता और भाईचारे की भावना में विश्वास रखते हैं, और जब हिंदू और मुस्लिम त्योहारों की तारीखें अध्यारोपित होती हैं, तो दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं। ठाकर के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट और गम पंचायत ने संयुक्त रूप से शहर के मुस्लिम निवासियों को इस साल मंदिर में आमंत्रित करने का फैसला किया।

इंडियन एक्सप्रेस ने ठाकर के हवाले से कहा, “हमने अपने गाँव के 100 से अधिक मुस्लिम रोजेदारों के लिए पाँच से छह प्रकार के फल, खजूर और शर्बत की व्यवस्था की। हमने व्यक्तिगत रूप से स्थानीय मस्जिद के मौलाना साहब का स्वागत किया।”

गाँव के एक अन्य निवासी 35 वर्षीय वसीम ख़ान ने भी गाँव में लंबे समय से चली आ रही सांप्रदायिक सद्भाव की भावना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि दलवाना के मुस्लिम समुदाय ने अतीत में हिंदू त्योहारों में अपने हिंदू भाइयों के साथ ‘कंधे से कंधा मिलाकर’ काम किया है, और कहा कि ग्राम सभा का मुसलमानों को मंदिर में उपवास तोड़ने के लिए आमंत्रित करने का प्रस्ताव, मुस्लिम समुदाय के लिए एक भावनात्मक पल था।

इस तरह का आयोजन देश भर में फैली सांप्रदायिक हिंसा और कटुता की कथित घटनाओं को रोकने की एक शानदार पहल है, चाहे वह रामनवमी पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएँ हों या मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक बहिष्कार का आह्वान हो।

साम्प्रदायिक सद्भाव का ऐसा ही दृश्य इस महीने की शुरुआत में केरल के मलप्पुरम जिले के वनियान्नूर में श्री महाविष्णु मंदिर में देखने को मिला था। मंदिर ने अपने वार्षिक स्थापना दिवस समारोह में एक सामूहिक इफ्तार का आयोजन किया, जिसमें 200 से अधिक मुस्लिम पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया।

जैसा कि दलवाना में मंदिर के पदाधिकारियों ने हिंदू त्योहारों के आयोजन में मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रदान किए जानेवाले सहयोग पर प्रकाश डाला था। चूंकि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कई लोग रमजान के कारण पहले आयोजित मंदिर के वार्षिक भोज में भाग लेने में असमर्थ थे, इसलिए मंदिर के पदाधिकारियों ने उनके लिए एक और आयोजन करने का फैसला किया।

(The Wire से साभार)

अनुवाद : अंकित कुमार निगम


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment