महिला स्वराज ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

0

29 अप्रैल। स्वराज इंडिया से जुड़े महिला संगठन महिला स्वराज ने कहा है कि बलात्कार की शिकार एक नाबालिग की मां द्वारा गर्भपात की अनुमति की याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय का हालिया फैसला ऐसे बर्बर अपराध की पीड़िताओं के लिए एक बड़ी राहत है। बलात्कार के आघात को झेलने के बाद, पीड़िता द्वारा गर्भावस्था के अवांछित बोझ को सहन करने और जीवन भर बच्चे की परवरिश करने की अपेक्षा करना, जब पीड़िता इस पर आपत्ति कर रही है, अमानवीय है। अब समय आ गया है कि ऐसे अपराधों के पीड़िताओं के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए, न कि उन्हें न्यायिक आदेशों के साथ साधारण कानून और व्यवस्था के मुद्दों के रूप में छोड़ दिया जाए। इस तरह के असामान्य रूप से जबरन संबंध प्रभावितों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर समाज प्रभावित होता है।

महिला स्वराज ने अपने बयान में आगे कहा है कि हालाँकि, गर्भपात का निर्णय हमेशा पीड़िता का, और यदि वह नाबालिग है तो उसके अभिभावकों का होना चाहिए। सभी अदालतों को ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में पीड़िता के निर्णय का सम्मान कर जीवन की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए सुविधाकर्ता की भूमिका निभानी चाहिए, जैसा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा किया गया है।

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि बलात्कार केवल एक महिला के विरुद्ध एक पुरुष द्वारा किया गया अपराध नहीं है; यह महिलाओं के समुदाय के खिलाफ एक अपराध है। बलात्कार का उद्देश्य एक लिंग का दूसरे पर प्रभुत्व स्थापित करना, समुदाय के एक पूरे वर्ग के अस्तित्व को अपमानित और अपने अधीन करना है। बलात्कार की नकारात्मक छाप केवल पीड़िता पर ही नहीं, बल्कि उसके परिवार, पड़ोस, समुदाय और वास्तव में पूरी नारी जाति पर छोड़ी जाती है। हालांकि यह महत्त्वपूर्ण है कि ऐसे अपराधों के मुकदमों को शीघ्रता से निर्णायक रूप दिया जाए, सरकारों के लिए यह भी अनिवार्य है कि वे उनकी घटनाओं को रोकने के लिए प्रक्रियाओं और कार्यक्रमों को सुनिश्चित करें। यौनहिंसा के ऐसे अपराधों के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की नीति को न केवल मानने की जरूरत है, बल्कि सभी सरकारों द्वारा इसका पालन और कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।

महिला स्वराज को उम्मीद है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय का यह फैसला देश की अन्य अदालतों में दायर ऐसी कई याचिकाओं के लिए मिसाल बनेगा।

Leave a Comment