किसानों के लिए नए स्मार्ट विलेज बसाए जाने की माँग

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10 मई। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने किसानों के ऊपर भी 4 काली शर्तों को लागू कर दिया है, जैसे 5 एकड़ की अनिवार्यता, भारी-भरकम विकास शुल्क, 40% जमीन फ्री में लेना और कंसोर्टियम जैसी असंवैधानिक शर्तें किसानों के सर पर थोप दी गयी हैं, जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली देहात में 99.9% किसानों के पास 5 एकड़ भूमि ही नहीं है, और जिस किसान के पास 5 एकड़ या उससे ज्यादा भूमि है उसकी जेब में लगभग 20 करोड़ रु. विकास शुल्क जमा करने के लिए नहीं है। ऐसे में ज्यादातर किसानों ने इस योजना में भाग लेने से दूरी बनाई और जिन किसानों ने उपरोक्त शर्तों पर अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन डीडीए के पोर्टल पर कर दिया है, ऐसा करके दिल्ली विकास प्राधिकरण ने दिल्ली देहात के किसानों के साथ आजाद हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे बड़ा फ्रॉड किया है।

जय किसान आंदोलन के संस्थापक और स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि दिल्ली में बढ़ती हुई आबादी को देखकर डीडीए द्वारा नए शहर बसाने की योजना 2007 में बनाई गयी थी, और आज तक यह योजना धरातल पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है; पॉलिसी किसान विरोधी है, क्योंकि दिल्ली विकास प्राधिकरण और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के नियम अनुसार लैंड पूलिंग पॉलिसी में किसानों के सर पर चार काली शर्तें थोप दी गयी हैं जबकि यह सभी शर्तें बिल्डरों के लिए होनी चाहिए थी ।

योगेंद्र यादव के अनुसार हैरानी की बात यह है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा निकाले गए नोटिफिकेशन में 5 एकड़ की शर्त है, और किसानों की जमीन का रजिस्ट्रेशन एक बीघा, एक एकड़ या दो एकड़ वालों का भी कर लिया है यानी अब 5 एकड़ जमीनमीन वाले किसानों को ही दिल्ली विकास प्राधिकरण 60% विकसित भूमि देगी |

राजीव यादव ने कहा, कि आज की मीटिंग इस स्मार्ट विलेज गाँव स्वराज पदयात्रा का 10वां गाँव है और गाँव का नाम सुल्तानपुर डबास है। आज गाँव की चौपाल में नए स्मार्ट विलेज बसवाने की ग्रामीणों के साथ सामूहिक शपथ समारोह होगा और यह साबित किया जाएगा कि डीडीए की सोच भूमाफिया की सोच है और शपथ ली जाएगी कि जब तक डीडीए लैंड पूलिंग पॉलिसी को किसान हितैषी बनाकर इसमें संशोधन नहीं करती है तब तक दिल्ली देहात के किसान अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन डीडीए के पोर्टल पर नहीं करेंगे, बल्कि जिन किसानों ने गलतफहमी में फंसकर अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन डीडीए के पोर्टल पर कर दिया है, वे किसान भी अब इस धोखे को समझते हुए अपना रजिस्ट्रेशन रद्द करवाएं और जब तक यह रद्द न हो जाए तब तक भूलकर भी कंसोर्टियम का हिस्सा न बनें।

– देवेंद्र शर्मा

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