6 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का क्षेत्र में अडानी ग्रुप की ग्रिड पावर-लाइनों के लिए बागवानी सहित अन्य किसानों से जबरदस्ती जमीन और उनका अधिकार छीने जाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए इस बात पर निराशा जताई है कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी, जो खुले तौर पर किसान आंदोलन का समर्थक होने का दावा करती है, किसानों, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, के खिलाफ, क्रूर बल, लाठीचार्ज और डराने-धमकाने की रणनीति का उपयोग कर रही है, जिससे वे कथित तौर पर गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जले पर नमक छिड़कने के लिए, कथित तौर पर “उच्च अधिकारियों” के आदेश के तहत, पुलिस द्वारा पीटे गए किसानों को झूठे मामलों में फंसाया गया है, जेल में डाला गया है और हिरासत में प्रताड़ित किया गया है।
एसकेएम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को याद दिलाया है कि किसान-विरोधी काले कानून, जो मोदी सरकार जबरदस्ती किसानों पर थोपने की कोशिश कर रही थी, के पीछे अडानी ग्रुप जैसे कॉरपोरेट ही हैं। दिल्ली में ऐतिहासिक किसान आंदोलन, जिसे 700 से अधिक किसानों के बलिदान और 380 दिनों के दृढ़ प्रतिरोध के बाद जीता गया था, इसी कॉरपोरेट-राजनीतिक गठजोड़ के खिलाफ था।
एसकेएम यह जानकर स्तब्ध है कि किसानों के साथ बिना किसी बातचीत और चर्चा के, और अपने फलदार पेड़ों को काटने के खिलाफ खुले तौर पर अनिच्छा व्यक्त करने के बावजूद, पूरे राज्य प्रशासन, पुलिस बल और स्थानीय राजनीतिक पदाधिकारियों ने इलाके में आतंक का शासन शुरू कर दिया है, और पुरुषों को भागने के लिए मजबूर कर दिया है। इसी मौके का फायदा उठाकर अडानी ग्रुप के एजेंट और दलाल किसानों के आम और लीची के पेड़ काट रहे हैं।
एसकेएम के एक घटक संगठन की तथ्यान्वेषी टीम ने प्रदर्शनकारी किसानों से बात करने के लिए 3 जुलाई को इलाके का दौरा करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। उन्हें वस्तुतः हिरासत में ले लिया गया और अपना होटल छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई। बाद में, एक पुलिस द्वारा प्रबंधित दौरा आयोजित किया गया, लेकिन टीम को प्रभावित गांवों का दौरा करने और विरोध कर रहे किसानों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। यह बेहद निराशाजनक, अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य है। किसानों से मिलने और उनकी जरूरत की घड़ी में उनके साथ खड़े होने का एसकेएम को संवैधानिक और कानूनी अधिकार है। एसकेएम को किसानों का साथ देने से रोकनेवाली कोई भी सरकार किसान-विरोधी है।
एसकेएम पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री से अधिकारियों को तत्काल निर्देश देने का अनुरोध और आह्वान करता है :
1) जिन क्षेत्रों में किसानों ने अनिच्छा व्यक्त की है, उन क्षेत्रों में अडानी समूह की ग्रिड पावर-लाइन निर्माण का काम बंद किया जाए।
2) अनिच्छुक किसानों के साथ भयमुक्त, सौहार्दपूर्ण वातावरण में संवाद किया जाए और समाधान निकालने का प्रयास किया जाए।
3) सभी किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं और उन्हें पुलिस या जेल हिरासत से रिहा किया जाए।
4) एसकेएम द्वारा घटनास्थल पर भेजी जा रही राष्ट्रीय स्तर की तथ्यान्वेषी टीम के साथ सहयोग किया जाए।
जारीकर्ता –
डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव