हमारी दंड न्याय प्रणाली में प्रक्रिया ही सजा बन गयी है : सीजेआई एनवी रमना

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17 जुलाई। भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने जल्दबाजी में अंधाधुंध गिरफ्तारी और जमानत पाने में कठिनाई को चिंताजनक बताते हुए शनिवार को कहा कि जिस प्रक्रिया के कारण विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक जेल में रखा जाता है, उस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। जयपुर में 18वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा, “हमें आपराधिक न्याय के प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के लिए एक समग्र कार्य योजना की आवश्यकता है। पुलिस का प्रशिक्षण और संवेदीकरण और जेल प्रणाली का आधुनिकीकरण आपराधिक न्याय के प्रशासन में सुधार का एक पहलू है। नालसा और कानूनी सेवा अधिकारियों को चाहिए कि वे उपरोक्त मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें कि वे कितनी अच्छी मदद कर सकते हैं।”

समानता के विचार और कानून के शासन पर जोर देते हुए सीजेआई ने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहते हुए की कि विश्वास तभी जीता जा सकता है जब न्याय वितरण प्रणाली में समान पहुंच और भागीदारी सुनिश्चित हो। सीजेआई ने कहा, “भारत जैसे देश में कानूनी सहायता न्याय प्रशासन का एक मुख्य पहलू है। न्याय प्रशासन एक ऐसा कार्य नहीं है जो केवल अदालतों के भीतर ही पूरा किया जाता है। इसमें अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और सामाजिक न्याय को सुविधाजनक बनाना शामिल है। इसका मतलब है एक ऐसा मंच जहां पार्टियां प्रतिस्पर्धी अधिकारों का दावा कर सकती हैं। न्याय वितरण प्रणाली में समान पहुंच और भागीदारी सुनिश्चित होने पर ही सभी का विश्वास जीता जाएगा।

हमारे देश में जेलों और कैदियों के आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा कि कैदी वास्तव में हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों में से एक हैं। सीजेआई ने कहा, “भारत में हमारे पास 1378 जेलों में 6.1 लाख कैदी हैं। उनमें से 80 फीसद विचाराधीन कैदी हैं। वे वास्तव में हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों में से एक हैं। जेल ब्लैक बॉक्स हैं। कैदी अक्सर अनदेखी, अनसुने नागरिक होते हैं। जेलों का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। विभिन्न श्रेणियों के कैदी, विशेष रूप से हाशिए के समुदायों से संबंधित हैं।”

इस मौके पर केन्द्रीय विधि मंत्री किरण रिजीजू ने बताया कि देश में अदालतों में लंबित कुल मामलों की संख्या 5 करोड़ तक पहुंच गयी है। इस पर सीजेआई ने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में मामले लंबित होने का मुख्य कारण न्यायिक पदों की रिक्तियों को न भरा जाना और न्यायिक सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार न किया जाना है।

(livelawhindi से साभार)

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