22 सितंबर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई। इससे देश में आर्थिक असमानता बढ़ गई। रेटिंग एजेंसी क्रेडिट सुईस ने मंगलवार को ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार भारत में आय से जुड़े आँकड़ों का अध्ययन करने पर पता चला, कि कोरोना काल में देश आर्थिक असमानता काफी बढ़ गई थी। भारत में लोगों की आय में असमानता से जुड़ी यह दर 2020 से 2021 के आखिरी तक एक ही जगह स्थिर रही। जबकि इस दौरान घरेलू संपत्ति में तेज उछाल देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल संपत्ति 2021 में 14.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो कि 2020 के मुकाबले 12 फीसदी अधिक थी। रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत का गिनी गुणांक (आय में असमानता से जुड़ा अध्ययन) 2000 में 74.7 से बढ़कर 2021 में 82.3 हो गया। वहीं रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल संपत्ति 2021 में 14.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो 2020 से 1.5 ट्रिलियन या 12 फीसदी अधिक थी।
भारत में 2021 में 107,000 करोड़पति लोग जुड़े। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करोड़पतियों की संख्या 2026 तक दोगुनी से अधिक 16 लाख होने की उम्मीद है। शीर्ष एक फीसदी भारतीयों की संपत्ति हिस्सेदारी 2021 में 40.6 फीसदी हो गई। यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो कि 2000 में 33.2 फीसदी थी। 2020 में 6.1 फीसदी की गिरावट के बाद 2021 में भारत की घरेलू संपत्ति में वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है। वहीं नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिस्सेदारी मात्र 13 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है, जहाँ कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है।