30 सितंबर। गंगा मुक्ति आंदोलन के तत्वावधान में गंगा की जैव विविधता और प्रदूषण विषय पर भागलपुर में हुई संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पर्यावरणविद डॉ सुनील चौधरी ने विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि अन्य जगहों की तुलना में अंग क्षेत्र (भागलपुर) की गंगा बहुत हद तक साफ है और यहां जैव विविधता बची हुई है। भागलपुर स्थित गंगा का जल स्तर, जैव विविधता और साफ रहने का मुख्य कारण है गंधक और कोशी नदी का गंगा में मिलना। यहां डॉल्फिन (सोस) का निवास स्थान भी है।
डॉ योगेंद्र ने कहा कि कई लोगों का कहना है कि गंगा मुक्ति आंदोलन मछुआरों का आंदोलन है। मछुआरों को अलग करके नदियों का आंदोलन सम्भव नहीं है। क्योंकि नदियों को नदियों पर निर्भर रहने वाले मछुआरा और उसके आसपास के लोग ही बेहतर जानते समझते हैं। जिस समय फरक्का बराज बन रहा था उसी वक्त मछुआरों ने कहा था कि कई ऐसी मछलियां हैं जो समुद्र में रहती हैं और प्रजनन के लिए साफ पानी यानी गंगा में आती हैं। बराज बनने से ये मछलियां गंगा में नहीं आ पाएंगी। गंगा मुक्ति आन्दोलन छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के साथियों ने शुरू किया और कॉलेज के छात्रों, मजदूरों, झुग्गी-झोपड़ी, शिल्पकारों और शहर के बुद्धिजीवी वर्ग को जोड़ते हुए आंदोलन को बढ़ाया गया। फरक्का बराज और एनटीपीसी बनाने के सरकार के फैसले का विरोध गंगा मुक्ति आंदोलन के साथियों ने किया था। उस समय हमलोगों को विकास विरोधी कह कर खारिज किया गया। इसके दुष्परिणाम को उस समय हमलोग जो कह रहे थे, आज सत्य साबित हो रहा है। कहलगांव के लोग राख से परेशान हैं, राख के कारण वहाँ की खेतिहर जमीन बंजर हो रही है। गंगा के पेट में इतना गाद जमा हो गया है कि इसे नहीं निकाला जा सकता है। गाद की समस्या का एक ही निदान है कि गंगा को अविरल बहने दे।
डॉ मनोज मीता ने कहा गंगा की सहायक नदियों को पुनर्जीवित किये बिना गंगा को नहीं बचाया जा सकता। आज जिस तरह से चम्पा नदी को नाला के नाम से लोग जानते हैं उसी तरह एक दिन आएगा कि गंगा को भी एक नाला के रूप में जाना जाएगा।
रामशरण ने कहा कि गंगा और नदियों को बचाने की मुहिम को तेज करना होगा, इसके लिए जगह-जगह संवाद का कार्यक्रम रखना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि 18 दिसम्बर को पटना में एक प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन गंगा मुक्ति आंदोलन और जल श्रमिक संघ के संयुक्त तत्वावधान में होगा।
गंगा मुक्ति आन्दोलन के संयोजक रामशरण ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की और संचालन उदय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन साथी रामपूजन ने किया।