चिपको आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई

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25 दिसंबर। चिपको आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंड के रामपुर में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न संस्थाओं तथा विभागों से आए हुए वैज्ञानिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और चिपको आंदोलन के प्रणेता चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि लगातार ग्लोबल वार्मिंग के चलते संपूर्ण विश्व का जलवायु परिवर्तित होने लगा है, बर्फ के टीले प्रतिवर्ष कई सेंटीमीटर पीछे खिसक रहे हैं, समय से पहले फ्यूली और बुरांस खिल रहे हैं। यह सभी जलवायु प्रदूषण के कारक हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी मौसम भी अब लगातार परिवर्तित होने लगा है, लोगों को अभी से पर्यावरण को लेकर चेत जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, कि लोगों को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा भरपूर बनी रहे। वहीं कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए भी पेड़ों की आवश्यकता होगी। पूर्व प्रमुख जयनारायण नौटियाल ने चिपको आंदोलन से जुड़े रहे रामपुर निवासी स्वर्गीय केदार सिंह रावत के कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, कि इस गाँव से भी केदार सिंह रावत ने पेड़ों को बचाने की मुहिम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था।

सेमिनार के दूसरे सत्र में कलश संस्था से जुड़े कवियों ने पर्यावरण को बचाने को लेकर काव्य पाठ किया। इस दौरान नंदकिशोर हटवाल, भुवनेश भट्ट, अपूर्व भंडारी, गंभीर फरस्वान, पीतांबर ने भी अपने विचार रखे।

(‘हिंदुस्थान न्यूज’ से साभार)


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