प्रगतिशील महिला संगठनों ने राष्ट्रीय महिला आयोग और पुलिस आयुक्त को सौंपा ज्ञापन

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30 मई। अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआईडीडब्ल्यूए) की जगमती सांगवान, आशा शर्मा, एनएफआईडब्ल्यू की एनी रजा, दीप्ति भारती, ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन से रितु कौशिक, सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग वूमेन(सीएसडब्ल्यू) की मांडवी, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज(पीयूसीएल) की वर्तिका मणि, प्रगति महिला संगठन(पीएमएस) की पूनम कौशिक तथा महिला सांस्कृतिक संगठन समेत कई प्रगतिशील महिला संगठनों के एक सम्मिलित प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को एक ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल ने बीते 28 मई को जंतर-मंतर पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों को हिरासत में लेने और पुलिस ज्यादती की कड़ी निंदा की है। प्रगतिशील महिला संगठनों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सार्वजनिक रूप से अपमानित करना, पुरुष पुलिस अधिकारियों द्वारा शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार करना, पीटना, और सूर्यास्त के बाद की जानेवाली अनुचित गिरफ्तारियाँ आदि कार्रवाइयां संविधान के अनुच्छेद 19(ए) तथा अनुच्छेद 19(बी) में निहित प्रावधानों का घोर उल्लंघन करती हैं। देश के हर नागरिक को शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार है।

उन्होंने आगे कहा कि अफसोस की बात है, कि आज प्रतिनिधिमंडल के आगमन की पूर्व सूचना के बावजूद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष नदारद थीं। नतीजतन अध्यक्ष के निजी सचिव को विधिवत ज्ञापन सौंपा गया है। वहीं प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय का भी दौरा किया, जहाँ पुलिस आयुक्त भी अनुपस्थित थे, इसलिए उनके कार्यालय में ज्ञापन जमा किया गया। प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में एक प्रासंगिक प्रश्न रखा है, कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाली महिला खिलाड़ियों के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है, तो देश की एक आम महिला न्याय माँगने की हिम्मत कैसे कर पाएगी।

प्रमुख माँगें

1) भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को तत्काल गिरफ्तार किया जाए, तथा मामले की पारदर्शी और निष्पक्ष जाँच शुरू की जाए।

2) दिल्ली पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर की गई हिंसा की जाँच के लिए एक समिति का अतिशीघ्र गठन किया जाए।

3) आंदोलनरत पहलवानों के खिलाफ झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।

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