समाजवादी एकजुटता सम्मेलन के लिए संदेश – जी. जी. पारीख

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Socialist Solidarity Conference

मुझे खुशी है कि मैं समाजवादी आन्दोलन के 90 वीं सालगिरह देखने के लिये जिन्दा हूं। जो कार्यक्रम पुणे में हो रहा है उसमें मैं हाजिर नहीं रह पाऊंगा। परन्तु 101 वर्ष की उम्र में भी मैं समाजवादी हूं, आज भी जितना संभव है उतना यूसुफ मेहेर अली सेंटर का काम कर रहा हूं, इस पर मुझे गर्व है।

गांधी जी ने कहा था मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। इसके अलावा समाजवादियों को क्या संदेश देने की जरूरत है? इस समय देश का वातावरण नफरत भरा बनाया जा रहा है। समाजवादियों ने कभी नफरत को आगे नहीं बढ़ने दिया। अब बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए समाजवादियों को हर संभव प्रयास करना चाहिए। यह हमारा सिद्धांत भी है और परंपरा भी।

समाजवादियों से मुझे एक दो बातें कहने की इच्छा है।

हमने पावर (सत्ता) को बहुत अधिक महत्व दिया, इसका असर यह हुआ कि सिद्धांत और मूल्यों को छोड़कर भी पावर में आना हमारा एक मकसद हो गया और इसकी वजह से जो कार्यक्रम हमने समाजवाद लाने के लिए अपने आपको दिए थे, उन पर जितना महत्व देना चाहिए था, हम नहीं दे पाए।

GG Parikh
जी. जी. पारीख

हम बिना सरकार और सत्ता में आए क्या कर सकते हैं, इसपर भी सोचना चाहिए। उसकी योजना बनानी चाहिए। पहले हमने बहुत ट्रेड यूनियन बनाए, आज कोई नई ट्रेड यूनियन बनाते साथी दिखाई नहीं पड़ते।

हमने बहुत सारे कोऑपरेटिव बनाए, आज वह नहीं बन रहे हैं। हम एक घंटा देश को देंगे, यह स्लोगन दिया। इसका पालन किया, आजकल कोई समाजवादी इसकी बात भी नहीं करता।

समाजवादी एकजुटता सम्मेलन

ऐसे बहुत से कार्यक्रम हमने देश की भलाई के लिए और देश की उन्नति के लिए दिए क्या वह सब हमने भुला दिया? हम समता की बहुत बात करते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है कि क्या हम खुद अपने जीवन में समता के मूल्य को जीते हैं?

हमने स्त्रियों को नेतृत्व के स्थान पर पहुंचाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाएं। हमने माइनॉरिटी को साथ में लाने के प्रयास जरूरत से कम किये। हम अगर अनेकता में एकता मानते हैं तो यह लीडरशिप पोजिशन में क्यों को दिखाई नहीं देता हैं। इस दिशा में बहुत कम कदम उठाए जाते हैं।

हम पर्यावरण को लेकर जागरूक नहीं है। यह आज और कल का बहुत बड़ा सवाल है लेकिन इस विषय पर हमारा बहुत कम ध्यान है।

मेरी आप लोगों से दरखास्त है कि आप निर्णय लें कि हम नए कोऑपरेटिव बनाएंगे, नए ट्रेड यूनियन बनाएंगे। हमने एक जमाने में HMS और HMKP को एकजुट करने की बात की थी, एक साथ आए भी थे। फिर क्यों अलग अलग काम करते हैं। हम समाजवादियों को हर गांव, हर शहर में ऐसे ग्रुप बनाने चाहिए, जो पर्यावरण को लेकर अपने जीवन तथा समाज के लिए क्या कर सकते हैं, उसके बारे में सोचे, काम करे।

जब हम विकास की बात करते हैं तब हमको इस विकास को पर्यावरण के संदर्भ में व्याख्यायित करना चाहिए। हमने यूसुफ मेहेर अली सेंटर के माध्यम से यह प्रयास किया है। आप भी कीजिए। रचना और संघर्ष इन दोनों में समाजवादियों को ज्यादा भाग लेना चाहिए। समाजवादियों की संस्थाओं को एक साथ आकर रचनात्मक और वैचारिक काम भी करना चाहिए।

स्कूल फॉर सोशलिज्म बना है। उसको समाजवादी प्रशिक्षण और शोध का केंद्र बनाना चाहिए। एक और चीज जो बहुत बड़े पैमाने में हमको करनी चाहिए, वह विनोबा के अंशदान के विचार को आगे ले जाने का है।

हर समाजवादी को अपनी आय / इनकम की एक फिक्स राशि समाज और समाजवाद के लिए खर्च करनी चाहिए। यह हमारा नियम बनना चाहिए।

शुभकामनाओं सहित,

आपका

जी. जी. पारीख


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