एग्रो फूड पार्क की फैक्ट्रियों के अपशिष्ट पदार्थों से काली हुई नाद नदी, ग्रामीण हुए बेहाल

0

4 मार्च। वाराणसी की पिंडारा विधानसभा क्षेत्र में बहने वाली एक छोटी सी नदी फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे, केमिकल युक्त अपशिष्ट के चलते नाला बन गई है। गांव के लोगों के मुताबिक नदी इतनी दूषित हो गई है, अगर पशु और कुत्ते इस नदी में चले जाते हैं तो उनके बाल झड़ जाते हैं।

बिंदा, बनारस की पिंडारा विधानसभा क्षेत्र में आता है, जो वाराणसी जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है। इस गांव के लोग नाद (नंद) नदी के प्रदूषण से काफी परेशान हैं। ग्रामीणों के मुताबिक नदी के प्रदूषण की मुख्य वजह पड़ोस का इंडस्ट्रियल एरिया है। उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम के करखियांव इंडस्ट्रियल एरिया यानी एग्रो पार्क फूड कंपनियों ने निकलने वाले अपशिष्ट के चलते नदी में प्रदूषण हुआ है। बनारस में विधानसभा चुनाव के सातवें चरण में 7 मार्च को मतदान है।

साल 2000 से लेकर 2015 तक ग्राम पंचायत के प्रधान रहे देवनाथ राम प्रजापति गांव के मुताबिक 2002 से पहले नदी का पानी इतना साफ था कि लोग सीधे उसमें से पानी पी लेते थे। देवनाथ प्रजापति गांव कनेक्शन को बताते हैं, “2002 से पहले इसका पानी बिल्कुल साफ था। हम लोग जब पशु चराने आते थे, तो इसके ऊपर का पानी हटाकर पी भी लेते थे, लेकिन आज के दिन में पशु पानी पी लेते हैं तो बीमार हो जाते हैं, मर जाते हैं। गांव के जो कुत्ते इस नदी से गुजर जाते हैं उन्हें खउरा (बाल झड़ना) रोग हो जाता है।” वो आगे बताते हैं, “गंदगी इतनी ज्यादा है कि आसपास के 10-15 गांवों के लोग परेशान हैं। गांव में मलेरिया, टीबी और सांस के मरीज हो रहे हैं। मच्छर तो इतने ज्यादा है कि खाना खाते वक्त कुछ मच्छर मुंह में चले जाते हैं। जो किसान इस पानी से सिंचाई करते हैं वो भी अच्छी न होती है।” नाद नदी, जिसे गांव के लोग नंदलाल या फिर नंद नदी भी कहते हैं। वो पड़ोसी जिले जौनपुर के मड़ियाहूं से निकलती है और आगे चलकर पहले गंगा की सहायक नदी वरुणा और फिर बलुआ घाट के पास गंगा में मिल जाती है। बिन्दा ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान देवनाथ राम प्रजापति ने गांव कनेक्शन को बताया कि नाद नदी के प्रदूषित होने से बिंदा समेत 11-12 गांव के लोग प्रभावित हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक बनाई गई है जांच कमेटी, जारी हुई हैं नोटिस एग्रो फूड पार्क की फैक्ट्रियों से छोड़े जाने वाले पानी में और उसकी व्यवस्था में दिक्कत है, इसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी है और कार्रवाई भी हुई है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह के मुताबिक करखियान इंडस्ट्रियल एरिया (फूड पार्क) में ब्रेड, बिस्किट, खाद्य तेल, कैटल फीड जैसी इंडस्ट्री हैं, जहां से 3-4 महीने पहले प्रदूषण की शिकायत आई थी, जिस पर कार्रवाई की गई है। कालिका सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा, “फूड पार्क की इंडस्ट्री से जो अपशिष्ट पानी निकलता है, उसके लिए सभी ने ट्रीटमेंट प्लांट तो लगाया है लेकिन उसका संचालन समुचित ढंग से न होने के कारण कभी कभी गंदा पानी नांद नाला में गिराए जाने की बात सामने आई थी, जिस पर जिला प्रशासन कमेटी बनाई गई थी, इंडस्ट्री का निरीक्षण किया गया है। कंपनी प्रबंधन के साथ बैठकें हुई हैं। जो दोषी हैं, उन पर कार्रवाई हुई है। कारण नोटिस भेजे गए हैं। जल प्रदूषण अधिनियम 1974, वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम-1981 के 31 धारा के तहत नोटिस जारी की गई हैं। नोटिस के बाद उन्होंने अपने प्लांट सही कर लिए हैं, अब उसका निरीक्षण किया जाएगा। अगर तब कुछ गड़बड़ी पाई जाएगी तो उद्योग बंदी का अधिकार है।” उधर, ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत पर जांच कमेटी बनाई जाती हैं लेकिन क्या कार्रवाई होती है ये पता नहीं चलता। पूर्व प्रधान देवनाथ राम प्रजापति कहते हैं, “कुछ साल समय पहले हमारे गांव के पुन्नवासी यादव की तीन गाय मर गई थीं और एक पड़ोसी की भैंस मर गई थी, जिसके बाद हमने तहसील दिवस में शिकायत की थी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कहा था, जांच करने वाले आए और कोरम पूरा करके चले गए, जांच में कभी ग्रामीणों को शामिल नहीं किया जाता है।”

(Gaon connection से साभार)

Leave a Comment