छुआछूत और भेदभाव की वजह से दलित बच्चों ने छोड़ा स्कूल

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14 अप्रैल। आजादी के 75 साल बाद भी देश में बड़े पैमाने पर देश के ही बहुजन समाज के लोगों के साथ छुआछूत का व्यवहार किया जा रहा है। इसका जीता जागता सबूत उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में उस वक्त देखने को मिला जब स्कूल में छुआछूत का मामला सामने आया। यह मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया।

हैरानी की बात है कि यह सब उस वक्त हुआ है, जब राज्य में सरकार की तरफ से ‘स्कूल चलो अभियान’ चलाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक बच्चे स्कूल पहुँचें। यह घटना चित्रकूट की मानिकपुर तहसील के अमरपुर गाँव में हुई है, जहाँ अनु.जाति के बच्चों ने छुआछूत से तंग आकर स्कूल जाना बंद कर दिया है। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद अधिकारियों ने गाँव पहुँच कर मामले की जाँच की है। बहरहाल, मानिकपुर तहसील के अमरपुर गाँव के रहनेवाले अनु.जाति के केशन ने आरोप लगाते हुए बताया है कि उनके बच्चे काजल, संगीता, गोविंद और मुकेश अमरपुर ग्राम पंचायत के ऊँचाडीह पूर्व माध्यमिक में पढ़ने के लिए जाते हैं, लेकिन विद्यालय में उनके बच्चों के साथ भेदभाव करते हुए उनको अलग से बैठने के लिए कहा जाता है। अगर गलती से वे किसी अन्य जाति के बच्चों को छू लेते हैं, तो उनके साथ मारपीट भी की जाती है।

साथ ही केशव ने बताया, कि विद्यालय के पास लगे सरकारी हैंडपंप से उनके बच्चों को पीने का पानी तक नहीं दिया जाता है। जिससे वे स्कूल में प्यासे बैठे रहते हैं। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार स्कूल के प्रधानाध्यापक से भी की है, लेकिन उलटा उन्हें ही फटकार कर यह कह दिया जाता है कि जब तुम लोगों को कोई नहीं छूता है, तो क्यों तुम लोग उन्हें छूते हो? इस वजह से मजबूर और निराश होकर बच्चों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया है। ऐसे में उनके बच्चों का क्या कसूर है?

अब सवाल यह उठता है कि सरकार की तरफ से लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए सरकारी विद्यालय में भेदभाव को खत्म कर ‘सब पढ़ें सब बढ़ें’ जैसे स्लोगन लिखवाए जाते हैं, लेकिन कुछ घटनाएँ सरकार के आदेश का मुँह चिढ़ा रही हैं। फिलहाल इस घटना की जानकारी मिलते ही उपजिलाधिकारी प्रवेश श्रीवास्तव बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ ऊँचाडीह पूर्व माध्यमिक विद्यालय पहुँचे जहाँ पर मामले की जाँच की। इसके साथ ही उन्होंने पीड़ित बच्चों से भी पूछताछ की है, जिन्होंने छुआछूत का गंभीर आरोप लगाया था। उप जिलाधिकारी ने जाँच के दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक को जमकर फटकार लगाई है और आगे ऐसी सूचना मिलने पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

इसके साथ उप जिलाधिकारी ने कुछ ग्रामीणों को चेतावनी दी है कि सार्वजनिक और सरकारी नलों पर कोई किसी को पानी भरने या पीने से मना नहीं कर सकता। छुआछूत जैसी भावना रखने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि सभी एक समान है। यही नहीं, उन्होंने ग्रामीणों के जागरूक जन चौपाल का भी आयोजन किया।


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