बेंगलुरु में मस्जिद के पास व्यापार करनेवाले हिंदू व्यापारी क्या कहते हैं

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20 अप्रैल। हिंदू समर्थक संगठनों द्वारा मंदिरों के पास व्यापार करनेवाले सभी मुसलमानों के साथ व्यापार न करने के आह्वान पर विवाद शुरू होने के बाद Gaurilankeshnews.com ने बेंगलुरु शहर में दशकों से मस्जिदों के पास व्यापार करनेवाले हिंदू व्यापारियों की राय जानने का फैसला किया।

इसका उद्देश्य यह जानना था, कि क्या इन हिंदू व्यापारियों को कभी मुसलमानों ने मस्जिदों के पास व्यापार करने पर परेशान किया है। यहाँ कुछ हिंदू व्यापारियों से बातचीत के अंश हैं, जो मस्जिद के पास व्यापार कर रहे हैं।

कृष्णा एक व्यापारी हैं, जोकि मांड्या जिले की मूलनिवासी हैं, ने कहा- बहुत से मुसलमान जो इस रास्ते से गुजरते हैं, हमारे साथ व्यापार करते हैं। मैंने अपना धंधा मस्जिद के पास ही स्थापित कर लिया है, फिर भी आज तक किसी मुसलमान ने मुझे कभी मस्जिद के पास स्टाल लगाने से मना नहीं किया है। किसी को भी धर्म के नाम पर गरीब लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए। बसावनगुडी मस्जिद के पास अपने ठेले पर लगभग आठ साल से चूना और अन्य सब्जियाँ बेचकर गुजारा कर रही कृष्णा उस घटनाक्रम से परेशान हैं, कि मुसलमानों को मंदिरों के पास स्थापित दुकानों को हटाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

बेंगलुरु में बसावनगुडी की काजी गली हमेशा भीड़ से भरी रहती है जो रमजान महीने के दौरान और भी भीड़ भरी हो जाती है। इस पवित्र महीने के दौरान व्यापारी, मुख्य रूप से फल विक्रेता तेजी से कारोबार कर रहे हैं। मस्जिद के तहखाने में स्थित दुकानों में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग बिना किसी परेशानी के व्यापार करते हैं।

एक दुकान में एक हिंदू परिवार पिछले 42 साल से कारोबार कर रहा है। सिलाई का काम कर रही रूपा राघवेंद्र का कहना है, कि उनके ससुर चार दशक से भी अधिक समय से सिलाई का काम कर रहे हैं। मैंने और मेरे पति ने भी यह पेशा जारी रखा है। दुकान मस्जिद की है, फिर भी किसी मुसलमान ने हमें परेशान नहीं किया। वे हमेशा हमारे साथ मित्रवत रहे हैं। लेकिन हम इस खबर से बेहद निराश हैं, कि मुसलमानों को मंदिरों के पास कारोबार नहीं करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने दावा करते हुए यह भी कहा, कि उनके पास हिंदू से अधिक मुस्लिम ग्राहक हैं, उन्होंने कहा कि लोगों को बांटने के लिए अनावश्यक विवाद जान-बूझकर पैदा किया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि “कोविड महामारी के कारण लोगों की कमाई पहले ही खत्म हो चुकी है। लोगों को जीने और कमाने दो, धर्म को इसमें मत सम्मिलित करो।”

मस्जिद के सामने नंदिनी का दुग्ध उत्पादों का स्टॉल है। दुकान में मौजूद सुनंदा से बात की तो उन्होेंने बताया कि उनके पति करीब 25 साल से यह कारोबार कर रहे हैं। हिंदू और मुस्लिम मिलजुल कर रहते हैं। उसने यह भी दावा किया कि उनके अधिकांश ग्राहक मुस्लिम हैं।

तमिलनाडु के सलेम जिले की एक महिला धनलक्ष्मी भी पिछले दस सालों से मस्जिद के पास फलों का स्टॉल अनवरत रूप से लगाती हैं। उन्होंने बताया कि मेरे और मुसलमानों के बीच संबंध इतने मजबूत हो गए हैं कि यदि मैं एक दिन भी अनुपस्थित रहती हूँ, तो उन्हें मेरे और मेरे परिवार के बारे में चिंता होने लगती है।

इन हिंदू व्यापारियों से नियमित रूप से फल खरीदने वाले ग्राहकों में से एक एस.ए. खादर ने बताया कि वह कई वर्षों से हिंदू विक्रेताओं से फल खरीद रहे हैं। स्थानीय निवासी मोहम्मद शरीफ ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय के लोगों को मस्जिद के पास व्यापार करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

(Gaurilankeshnews.com से साभार)

अनुवाद : अंकित कुमार निगम


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