बेलसोनिका मजदूर यूनियन ने ‘सयुंक्त मजदूर किसान पंचायत’ आयोजित करने के लिए एसकेएम को लिखा पत्र

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17 अगस्त। मानेसर स्थित बेलसोनिका मजदूर यूनियन के सदस्यों ने अपनी समस्याओं को मुख्यमंत्री के सामने लाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से एक विशाल पंचायत करने की अपील की है। यूनियन के सदस्यों का कहना है, कि प्रबंधन द्वारा यूनियन पर किए जा रहे हमलों के विरोध में मानेसर में संयुक्त मजदूर किसान पंचायत का आयोजन किया जाना चाहिए। इस संबंधन में यूनियन ने संयुक्त किसान मोर्चा से एक पत्र के माध्यम से अपील की है। पत्र में यूनियन की तरफ से मजदूर किसान पंचायत की प्रस्तावित तारीख 13 अक्तूबर 2022 रखी गयी है।

बेलसोनिका यूनियन के सदस्यों का कहना है कि “उदारीकरण की नीतियों के पिछले लगभग 3 दशक के इतिहास में मजदूर-किसान मेहनतकश जनता के जीवन को नारकीय बना दिया है। इन्हीं उदारीकरण नीतियों का परिणाम है कि खेती को भी मोदी सरकार बड़े कारपोरेटों के हवाले करना चाहती है। यूनियन का आरोप है, कि केवल यही नहीं, मोदी सरकार रेल, बैंक, बीमा, कोयला, खाद्यान्न, सड़क, बिजली, भारत पेट्रोलियम, हवाई जहाज आदि सार्वजनिक उद्यमों को बड़े बड़े कारपोरेटों के सुपुर्द करने पर आमादा है। इससे भी आगे बढ़कर “अग्निपथ योजना” के नाम पर स्थायी नौकरियों को छीनकर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

साथ ही उनका कहना है, कि उसी क्रम में मजदूरों के 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर 4 लेबर कोड को लागू कर मजदूरों की स्थायी नौकरियों पर हमले के साथ-साथ यूनियन बनाने के अधिकार, हड़ताल के अधिकार, मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा आदि पर हमला किया जा रहा है। आजाद भारत में मजदूरों पर मोदी सरकार का सबसे बड़ा हमला है। बेलसोनिका यूनियन के प्रधान मोहिंदर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया, कि विगत एक साल से कम्पनी प्रबंधन शासन-प्रशासन से मिलीभगत कर यूनियन पर एक के बाद एक हमले बोल रहा है। हमारी यूनियन को खत्म करने तथा मजदूरों को प्रताड़ित करने के लिए मई-जून की गर्मी में एयर वॉशर (पंखे) बंद कर देना, कैंटीन में आए दिन खाने में कॉकरोच कीड़े आदि पाए जाना, नींबू पानी बंद कर देना, फर्जी दस्तावेजों के नाम पर झूठी घरेलू जाँच कार्यवाही कराकर मजदूरों की छंटनी करना आदि कार्रवाइयां कम्पनी प्रबंधन द्वारा की जा रही हैं।

इससे पूर्व ठेका मजदूरों के लिए वीआरएस लेना जबकि नीम, डी.ई.टी., नए छह माह के लिए ठेका मजदूरों की भर्ती लगातार की जा रही है। प्रबंधन की उपरोक्त गतिविधियां मजदूरों की छंटनी करने की नीयत से की जा रही हैं। मजदूरों को परेशान करने के लिए उनके बस स्टॉप बदलकर पानी से गुजरने को मजबूर किया जा रहा है। यूनियन के महासचिव अजित का कहना है, कि “हमारी यूनियन काफी संघर्षों के बाद अस्तित्व में आई। हमने केवल अपने समूह के लिए लड़ने के साथ साथ तमाम सामाजिक मुद्दों, सी.ए.ए., एन.आर.सी. के खिलाफ आंदोलन हो या फिर केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद हो या छात्रों पर दमन हो या फिर किसान आंदोलन पर दमन हो, मंदी-बेरोजगारी आदि पर भी आर्थिक मदद व जन कार्यवाहियां की हैं।

उन्होंने बताया “हमने अपना कर्तव्य समझकर किसान तथा मजदूर वर्ग के लिए संघर्ष कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन में हम मजदूरों ने बढ़-चढ़ कर अपनी क्षमताभर योगदान किया। मजदूर विरोधी लेबर कोड तथा किसान विरोधी 3 कृषि कानूनों के विरोध में यूनियन द्वारा 14 नवम्बर 2021 को मजदूर किसान पंचायत भी आयोजित की थी। अन्य मजदूर यूनियनों को किसान आंदोलन के समर्थन के लिए प्रेरित भी किया। यह सब प्रबंधन व प्रशासन के लिए नागवार गुजर रहा है। वर्तमान में प्रबंधन व प्रशासन यूनियन के खिलाफ एकजुट है। यूनियन लगातार अपने मुद्दों के लिए संघर्ष कर रही है।”

गौरतलब है, कि पिछले कई महीनों से प्रबंधन यूनियन पर लगातार झूठे आरोप लगाकर मजदूरों को बर्खास्त करता जा रहा है। प्रबंधन ने कल ही सात नीम ट्रेनीज को सैलरी समय पर न आने की वजह पूछने पर सभी मजदूरों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया है। वहीं यूनियन के सदस्यों का कहना है, कि जब बेलसोनिका यूनियन ने इन मजदूरों को निकाले जाने का प्रबंधन से कारण पूछा तो प्रबंधन ने कहा, कि आप इन मजदूरों के बारे में नहीं पूछ सकते क्योंकि ये आपकी यूनियन के मेंबर नहीं हैं। यूनियन ने प्रबंधन को कहा, कि यूनियन इसलिए इनकी आवाज उठा रही है क्योंकि ये सभी मजदूर हमारे साथ फैक्ट्री में काम करते हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा भी हमारा काम है।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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