उप्र में अब उद्योगों के लिए बेची जा सकेंगी दलितों व आदिवासियों की जमीनें

0

6 अक्टूबर। देशभर में रहने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के पास पहले से ही कम मात्रा में जमीनें हैं। इसी अल्प मात्रा में उपलब्ध जमीनों के सहारे वे अपने परिवार का पेट पालते हैं। प्रदेश में एससी एसटी के व्यक्ति की जमीन को औने पौने में न बिकने देने या खुर्द बुर्द होने से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाए गए थे। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा 98 (1) के तहत, “अनुसूचित जाति से संबंधित किसी भी भूमिधर (भूमि मालिक) को हस्तांतरण का अधिकार नहीं होगा।” लेकिन उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ऐसी नई औद्योगिक नीति लाने जा रही है, जिससे आसानी से प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति की जमीन भी बेची जा सकेगी।

दैनिक जागरण की एक खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डालर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही योगी आदित्यनाथ सरकार तमाम नीतियों में परिवर्तन कर रही है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2022 लागू करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 का प्रारूप भी तैयार कर लिया है। इस नीति में तमाम पूंजीगत सुविधाओं के साथ उद्योगों के लिए जमीन की बाधा दूर करते हुए राजस्व संहिता में भी संशोधन करने की तैयारी में है। इसके बाद उद्योगों के लिए अनुसूचित जाति व जनजाति की जमीन भी बेची जा सकेगी।

Leave a Comment