4 जनवरी। जहाँ एक तरफ देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू जी आसीन हैं, वहीं दूसरी तरफ देश में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध के अलग से आँकड़े इकठ्ठा करता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासियों के खिलाफ अपराध में कोई कमी नहीं आ रही है। मध्यप्रदेश में हालत बहुत ही ज्यादा खराब है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध 2020 की तुलना में 2021 में 6.4% बढ़ गए हैं। मध्य प्रदेश(2627 मामले) ने 2021 के दौरान अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अत्याचार के मामलों की सबसे अधिक संख्या 29.8% दर्ज की, इसके बाद राजस्थान में 24%(2121 मामले) और ओड़िशा में 7.6%(676) मामले दर्ज किए गए। वहीं महाराष्ट्र में 7.13%(628 मामले) तथा तेलंगाना में 5.81%(512) मामले दर्ज हैं। उपरोक्त शीर्ष पाँच राज्यों ने अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार के 74.57% मामले दर्ज किए।
वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020(50,291 मामलों) की तुलना में वर्ष 2021(50,900) में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध में 1.2% की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश (13,146 मामले) ने 2021 के दौरान अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अत्याचार के मामलों की सबसे अधिक संख्या 25.82% दर्ज की, इसके बाद राजस्थान में 14.7%(7,524 मामले), मध्य प्रदेश में 14.1%(7,214 मामले), बिहार 11.4%(5,842 मामले) तथा ओड़िशा में 4.5%(2,327) मामले दर्ज किए गए। उपरोक्त शीर्ष पाँच राज्यों ने अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के 70.8% मामले दर्ज किए।