4 फरवरी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण(एनएएलएसए) ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि हालिया आँकड़ों के अनुसार जमानत दिए जाने के बाद भी करीब 5,000 विचाराधीन कैदी जेलों में हैं, और उनमें से 1,417 को रिहा कर दिया गया है, तथा 2,357 को विधिक सहायता प्रदान की गई है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के मुताबिक, जमानत मिलने के बावजूद जेल में रह रहे विचाराधीन बंदियों की संख्या महाराष्ट्र में 703(जिनमें से 314 रिहा कराए गए), ओड़िशा में 238(जिनमें से 81 रिहा कराए गए) और दिल्ली में 287(जिनमें से 71 रिहा कराए गए) थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जमानत मिलने के बावजूद अभियुक्तों के जेल में होने का एक मुख्य कारण यह है कि वे कई मामलों में आरोपी हैं, या फिर गरीबी के कारण जमानत या जमानत बांड भरने में असमर्थ हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जहाँ भी रिहा न होने का कारण बॉन्ड या जमानत देने में असमर्थता है, एनएएलएसए संबंधित राज्य या जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के साथ उन मामलों का पालन करेगा और उम्मीद है कि अगले एक या दो महीनों में ऐसे विचाराधीन कैदी जेल से बाहर होंगे। विदित हो कि न्यायालय ने पिछले साल 29 नवंबर के अपने आदेश में उन विचाराधीन बंदियों का मुद्दा उठाया था, जो जमानत मिलने के बावजूद जमानत की शर्त नहीं पूरी कर पाने के कारण जेल में हैं।
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