21 अप्रैल। इंदौर के संभाग आयुक्त के माध्यम से शुक्रवार को विभिन्न राजनीतिक दलों, किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर कहा है कि नर्मदा घाटी के विस्थापितों को न्याय दिलाने में अड़गे ना डाले जाएं। किसान संघर्ष समिति, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, भूमि अधिकार आंदोलन, एआईकेएससी, संयुक्त किसान मोर्चा, एआईटीसीटीयू ,भारतीय किसान मजदूर सेना, समाजवादी समागम सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं ज्ञापन में कहा है कि नर्मदा घाटी के विस्थापितों के पक्ष में नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले, पुनर्वास नीति और न्यायालयों के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। आखिर कौन सी मजबूरी है मध्य प्रदेश सरकार की, कि विस्थापितों को न्याय में लगातार अड़ंगे डाले जा रहे हैं? शिकायत निवारण प्राधिकरण में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद 5 पूर्व न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं होना भी सरकार की लापरवाही को उजागर करता है। यह ना केवल अदालतों का अपमान बल्कि जीने के अधिकार का भी उल्लंघन है और विस्थापितों के साथ अन्याय है।
इंदौर के 186 किसानों के करीब पौने तीन करोड़ रुपए 5 व्यापारिक फर्में लेकर फरार हो गई हैं; ज्ञापन में मांग की गयी है कि उनसे तत्काल वसूली कर किसानों का भुगतान कराया जाए। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करनेवालों में प्रमुख हैं रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया की इंदौर इकाई के अध्यक्ष एमके चौधरी, एआईटीयूसी के प्रमोद नामदेव, भारतीय किसान मजदूर सेना के लाखन सिंह डाबी, एसपीआई के कैलाश यादव, किसान संघर्ष समिति के दिनेश सिंह कुशवाहा।
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