27 मई। वाराणसी में सर्व सेवा संघ के परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान को प्रशासनिक ताकत का दुरुपयोग करके, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के जरिए, हड़पने की कोशिशों ने गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के अनुयायियों को बेहद चिंतित और क्षुब्ध कर दिया है। उनकी चिंता और सामूहिक प्रतिवाद का इजहार करता हुआ बयान समता मार्ग पर पहले ही प्रकाशित हो चुका है, जिसपर देश के कई नामचीन बौद्धिकों, कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
लेकिन इससे न तो राष्ट्रीय कला केंद्र के कर्णधारों को कोई शर्म आयी न प्रशासन के कान पर जूं रेंगी। उलटे, आचार्य विनोबा भावे के समय हुई भूमि खरीद को, अब तिरसठ साल बाद रेलवे की तरफ से शिकायत दर्ज करवाकर, संपत्ति विवाद बनाने की साजिश रची जा रही है। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति पर काबिज होने और उसकी पत्रिका ‘अंतिम जन’ का सावरकर विशेषांक निकालने से लेकर गांधी विद्या संस्थान को हड़पने के प्रयासों तक, अब तक ऐसे कई उदाहरण हैं जो गांधीवादी संस्थाओं पर आरएसएस की गिद्ध दृष्टि की ओर इशारा करते हैं।
अलबत्ता निशाने पर सिर्फ गांधीमार्गी संस्थाएं नहीं हैं। वर्तमान सत्ता द्वारा मनमाने तरीके से सभी संस्थाओं और सच को उजागर करनेवालों को डराया और परेशान किया जा रहा है। देशभर में इसके सैकड़ों-हजारों उदाहरण हमारे सामने हैं।
इस विषम परिस्थिति और चुनौती पर विचार करने और अपनी भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए 4-5 जून को गांधीजनों, जेपी आंदोलन के सभी साथियों, प्रगतिशील एवं संघर्षशील समूहों, समाजवादी विचार के प्रतिनिधियों, रचनात्मक व स्वैच्छिक सस्थाओं की साझेदारी से एक प्रतिरोध सम्मेलन आयोजित किया गया है।
प्रो.आनंद कुमार, रमेश ओझा, सवाई सिंह, संजय सिंह, रामधीरज की पहल पर बुलाए गए इस सम्मेलन में शिरकत के लिए संपर्क करें –
रामधीरज
(9453047097)
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