15 मई। बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में हो रही देरी और सरकार की उदासीनता को देखते हुए शनिवार को शिक्षक अभ्यर्थियों ने फेसबुक लाइव का आयोजन किया। इसे यूथ फॉर स्वराज के सहयोग से किया गया। इस दौरान शिक्षक अभ्यर्थियों की तरफ से अध्यक्ष राजेंद्र सिंह और सौरव कुमार ने अपनी बात रखते हुए बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण आज लाखों अभ्यर्थी दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। जिस नियोजन प्रक्रिया को 2019 में ही पूर्ण हो जाना था उसको आज तक बिहार सरकार ने लटकाये रखा। इसके बाद राहुल, मुन्नी शुक्ला, विनीता, हरिशंकर मिश्रा, सतीश जैसे शिक्षक अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा किया।
इसी मुद्दे को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों तथा यूथ फॉर स्वराज द्वारा एक ट्विटर ट्रेंड भी चलाया गया, ताकि शिक्षक अभ्यर्थियों की माँग को बड़े स्तर पर उठाया जा सके।
अभ्यर्थियों का कहना था कि अगर यह नियोजन समय पर पूर्ण होता तो कई साथी आज हमारे बीच होते क्योंकि कई अभ्यर्थी इस महामारी में इलाज के अभाव में जान गँवा बैठे और कुछ बिहार सरकार की प्रताड़ना को ना झेल पाने के कारण तनावग्रस्त होकर आत्महत्या करने को मजबूर हुए।
अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार हर बार बहाली में कोई ना कोई पेच फँसा के रखती है। इस बार ब्लाइंड फेडरेशन केस की वजह से नियुक्ति रुकी हुई है। इस केस में अगस्त 2020 में ही जवाब माँगा गया था और स्टे लगा था। शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण आज तक उस केस में अगली सुनवाई नहीं हो पायी है। जब भी सुनवाई की तारीख
आती है तो सरकारी वकील या तो स्टडी करके नहीं जाते या तो अगली डेट मांग लेते हैं जिससे लाखों अभ्यर्थी परेशान हैं।
यूथ फॉर स्वराज के अंकित त्यागी ने बिहार सरकार से यह माँग की है कि शिक्षक अभ्यर्थियों की माँगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, क्योंकि यह मसला युवाओं और अभ्यर्थियों तक सीमित नहीं है। भर्ती के लंबित रहने का प्रभाव आनेवाली पीढ़ियों और शिक्षा स्तर पर भी पड़ेगा।