आखिर जुमला साबित हुआ ब्लैक राइस

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काले चावल के किसान वीरेंद्र सिंह
काले चावल के किसान वीरेंद्र सिंह

3 जुलाई। “30 नवंबर 2020 : वाराणसी में देव दीपावली के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “चंदौली का ब्लैक राइस (Black Rice) किसानों के घरों में समृद्धि ला रहा है। दो साल पहले काले चावल का प्रयोग किया गया था। 400 किसानों को उगाने के लिए दिया गया था। सामान्य चावल 35-40 रुपया किलो बिकता है और यह 300 रुपये के भाव में बिक रहा है। ब्लैक राइस को विदेशी बाजार भी मिल गया है। पहली बार आस्ट्रेलिया और कतर को यह चावल निर्यात हुआ है। जहां धान का एमएसपी 1800 रुपये है, वहीं काला चावल 8500 प्रति क्विंटल बिका है। चंदौली में 1000 किसान परिवार ब्लैक राइस की खेती कर रहे हैं।”

“20 मार्च 2022 : मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने चंदौली के ब्लैक राइस की तारीफ करते हुए इसकी खेती को “वोकल फॉर लोकल” का सटीक उदाहरण बताया। कहा, “चंदौली का ब्लैक राइस देश ही नहीं, विदेश में भी सुर्खियां बटोर रहा है। किसानों को लागत की तुलना में लगभग चार गुना अधिक यानी 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। यह चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है।”

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंदौली जिले के जिस ब्लैक राइस की तारीफ तमाम मंचों से लगातार करते आ रहे हैं, वह किसानों के लिए अब सिर्फ एक जुमला बनकर रह गया है। ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया है। स्थिति यह है कि कृषि महकमे के अफसरों के पास इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि इस बार कितने किसानों ने ब्लैक राइस उगाया है और कितनी पैदावार हुई है?”

– ‘हिंदी न्यूज़क्लिक’ में यह विजय विनीत की खबर है। खबर के अंत में जो प्रश्न उठाए गए हैं उनके उत्तर का अनुमान परसों मुझे कृषि विकास मंच के स्थापना दिवस के जलसे में इलाके के प्रतिष्ठित किसान वीरेंद्र के दर्द भरे भाषण से मिला।

वीरेंद्र सिंह सरकार द्वारा गठित चंदौली की ‘ब्लैक राइस कमिटी’ के सदस्य थे। जिलाधिकारी समिति के सदर थे।वीरेंद्र सिंह ने अपने भाषण में बताया कि 2 करोड़ 75 लाख का ब्लैक राइस चंदौली के गोदामों में पड़ा है। बेचने की कोई व्यवस्था नहीं है। वीरेंद्र सिंह ने खुद ब्लैक राइस लगाया था। इसकी बिक्री के लिए वे सरकारी अमले में दर-दर भटक रहे हैं। पिछले दिनों कृषि उप निदेशक के साथ किसानों की एक बैठक वाराणसी में आयोजित थी।वीरेन्द्र सिंह वहां पहुंचे तो चंदौली के अफसर उनसे चिरौरी करने लगे कि ब्लैक राइस का मसला मत उठाइएगा!

ब्लैक राइस की खपत यूरोप में मुमकिन है। निर्यात की व्यवस्था तो सरकार को करनी होगी। यूरोप का उपभोक्तावाद ज्यादा परिष्कृत है। कीटनाशक अवशेष के मानदंड आदि हमसे ज्यादा कड़े हैं ताकि वे शुद्ध उपभोग कर ज्यादा जीयें।

ब्लैक राइस की खेती चंदौली में अब नहीं होगी। मोदी दुनिया भर में उनके नाम पर वोट की फसल भले ही पैदा करते रहें।

– अफ़लातून
किसान मजदूर परिषद


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