सरकारी बैंकों पर मंडरा रहा है निजीकरण का खतरा – एआईबीओसी

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21 जुलाई। 55वें बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस के अवसर पर बैंक अधिकारियों की यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन(एआईबीओसी) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। यूनियन का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने समाज में आर्थिक भेदभाव को दूर करने में अहम भूमिका निभाई है, फिर भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ ने आगे कहा, कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1969 में अपने राष्ट्रीयकरण के बाद से वित्तीय समावेशन और बचत को आकर्षित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

एआईबीओसी के महासचिव रूपम रॉय ने मीडिया के हवाले से बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर निजीकरण की तलवार लटक रही है। उन्होंने आगे कहा, यह एक वैचारिक संघर्ष है, जिसे ऐसी वैकल्पिक विचारधारा के जरिये दूर किया जा सकता है, जो बड़ी आबादी के कल्याण को प्राथमिकता देती हो। उन्होंने कहा, राष्ट्रीयकरण के बाद से ये पीएसबी कृषि, लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई), शिक्षा तथा बुनियादी ढांचा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को धन मुहैया कराते आ रहे हैं तथा आर्थिक विकास, वृद्धि को बढ़ावा देने और लाखों भारतीयों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं।

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